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कैंसर पीड़ित बच्चों की अनोखी पाठशाला है कैंशाला

मुंबई | एजेंसी: कैंसर पीड़ित उन बच्चों के लिए ‘कैंशाला’ शांति और ज्ञान का द्वीप बन कर उभरा है, जिनके लिए इस घातक बीमारी के उपचार की वजह से एक समय शिक्षा ग्रहण करना किसी सपने से कम नहीं रह गया था.

दक्षिणी मुंबई के परेल इलाके में स्थित बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के इस स्कूल में कैंसर पीड़ित बच्चे सामान्य बच्चों के संग घुल-मिल रहे हैं.

इन बच्चों को नियमित शिक्षक पढ़ाते हैं, जिनमें से दो शिक्षक नगर निगम और बाकी शिक्षक ‘कैनकिड्स’ नामक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं. इस औपचारिक शिक्षा के जरिए उपचार के दौरान बर्बाद हुए समय की खानापूर्ति करने में उनकी मदद की जाती है.

यह विशेष स्कूल बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और ‘कैनकिड्स’ के बीच साझेदारी और कैंसर पीड़ित बच्चों के परिवारों की मदद से चलाया जा रहा है.

नगर निगम ने जगन्नाथ भाटणकर म्युनिसिपल स्कूल में इस स्कूल के लिए चार कमरे उपलब्ध कराए हैं. इनमें से दो कमरों को पीड़ित बच्चों की शिक्षा और एक उनके उपचार और एक कार्यालय के लिए दिया गया है.

आईएएनएस से बातचीत में ‘कैंशाला’ की परामर्शदाता सुरभि कक्कड़ ने कहा, “यह स्कूल कैंसर के उपचार के दौरान बच्चों की शिक्षा में आने वाले अंतराल को पाटने का काम करता है.”

‘कैंशाला’ में 80 कैंसर पीड़ितों का पंजीकरण हो चुका है, जिनमें से कम से कम 20 नियमित रूप से कक्षा में आते हैं. कैंसर पीड़ित बच्चे अन्य सामान्य बच्चों के साथ सहज महसूस कर सकें, इसके लिए नगर निगम स्कूल में बच्चों को निशुल्क किताबें, भोजन, यूनिफार्म और बैग दिया जाता है. कैंसर से जूझ रहे अधिकांश बच्चे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ और मध्य प्रदेश से हैं.

‘कैनकिड्स’ के निदेशक एनिड ए. केर ने आईएएनएस से कहा, “वे तब स्कूल आते हैं, जब उनका शहर के टाटा मेमोरियल, सायन और बाई जेराबाई वाडिया जैसे अस्पतालों में उपचार नहीं चल रहा होता.”

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