कैंब्रिज एनालिटिका का छत्तीसगढ़ कनेक्शन
रायपुर | संवाददाता: ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ने छत्तीसगढ़ में मतदाताओं के व्यवहार से जुड़े अध्ययन करवाये थे. डाटा लीक का सामना कर रहे कैंब्रिज एनालिटिका ने भारत में स्ट्रैटजिक कम्युनिकेशंस लेबोरेटरी के सहारे छत्तीसगढ़ में इस तरह का अध्ययन किया था. मतदाताओं के व्यवहार और मतदान की परंपरा जैसे मुद्दों पर यह अध्ययन छत्तीसगढ़ के अलावा दिल्ली में भी किया गया था.
कैंब्रिज एनालिटिका के पूर्व रिसर्च प्रमुख वाइली ने दावा किया है कि उनकी कंपनी ने भारत में राजनीतिक दलों को जातिगत आंकड़ा मुहैया कराने के लिए तो काम किया है, उनके व्यवहारगत आंकड़ों का भी विश्लेषण किया है.
फेसबुक के निजी डेटा का इस्तेमाल अवैध रूप से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किए जाने का खुलासा करने वाले क्रिस्टोफर वाइली ने बुधवार को कहा कि उसके पूर्व नियोक्ता कैंब्रिज एनालिटिका का भारत से संबंध है और भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी जनता दल समेत कुछ पार्टियों ने ‘इच्छित नतीजे’ पाने के लिए कंपनी की भारतीय इकाई से चुनावी अध्ययन करवाए थे.
I've been getting a lot of requests from Indian journalists, so here are some of SCL's past projects in India. To the most frequently asked question – yes SCL/CA works in India and has offices there. This is what modern colonialism looks like. pic.twitter.com/v8tOmcmy3z
— Christopher Wylie (@chrisinsilico) March 28, 2018
वाइली ने कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका के मातृ संगठन, एससीएल समूह का मुख्यालय गाजियाबाद के इंदिरापुरम में है और इसका क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, बेंगलुरू, कटक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोलकाता, पटना और पुणे में है. वाइली ने ट्वीट किया, “भारतीय पत्रकारों की तरफ से मेरे पास ढेर सारे अनुरोध आ रहे हैं. इसलिए यहां भारत में एससीएल की कुछ पिछली परियोजनाओं को पेश कर रहा हूं. सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्न का जवाब यह है कि- हां, एससीएल, सीए भारत में काम करती है और वहां उसके कार्यालय हैं. यह आधुनिक उपनिवेशवाद जैसा है.”
इस बीच भारत सरकार ने फेसबुक डेटा लीक मामले में कैंब्रिज एनालिटिका को नोटिस जारी किया है. इसमें सरकार ने पूछा कि क्या उसने चुनावों को प्रभावित या फेसबुक पर मौजूद भारतीयों की जानकारी बेजा इस्तेमाल किया है? केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तरफ से जारी नोटिस में सरकार ने कैंब्रिज एनालिटिका से छह सवाल पूछे हैं और कंपनी को जवाब देने के लिए 31 मार्च 2018 तक का वक्त दिया है. इसमें पूछा गया है कि कंपनी ने किस तरह से डेटा एकत्र किया. इस डेटा का किस तरह इस्तेमाल किया गया और क्या इसके लिए यूजर्स की रजामंदी ली गई.