बोनस कटौती करेगी त्यौहारों को फीका
नई दिल्ली | एजेंसी: देश की अधिकतर कंपनियां आय और बिक्री में गिरावट के कारण आगामी त्योहारी मौसम से संबंधित बजट और बोनस में 40 फीसदी तक कटौती कर सकती हैं. यह खुलासा एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) द्वारा कराए गए एक औद्योगिक सर्वेक्षण में हुआ.
इस सर्वेक्षण के मुताबिक कारोबारी सुस्ती, आय पर दबाव, निरंतर बढ़ती महंगाई और अब रुपये के अवमूल्यन के कारण कंपनियां या तो बोनस में कटौती कर सकती हैं या बोनस देने से ही इंकार कर सकती हैं.
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “सुस्ती का असर दीवाली पर पड़ सकता है.” उन्होंने कहा कि रुपये के अवमूल्यन के कारण दीवाली, धनतेरस तथा क्रिसमस से संबंधित खर्च में 40 फीसदी तक कटौती की जा सकती है.
मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, बेंगलुरू और हैदराबाद की 2,500 लघु, मध्यम और बड़ी कंपनियों से इस सर्वेक्षण में आंकड़े जुटाए गए.
रावत ने कहा, “कठिन कारोबारी परिस्थिति जैसे ऊंची महंगाई, आय में गिरावट और ठेकों में गिरावट का बुरा असर त्योहारी सत्र पर पड़ रहा है.”
उन्होंने कहा कि इसके कारण उपभोक्ता भी त्योहारी महीनों में कम खर्च करेंगे और इससे आखिरकर कारोबार ही फिर से प्रभावित होगा. रावत ने कहा, “यह एक अनवरत चक्र है, जिसे तोड़ने की जरूरत है.”
उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु, आभूषण और रत्न, तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन और रियल एस्टेट क्षेत्र पर कारोबारी सुस्ती का बहुत बुरा असर पड़ा है. इन क्षेत्रों की कंपनियां आगामी त्योहारी सत्र में काफी कम खर्च कर सकती हैं.
इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद, टीवी, लैपटॉप, वाशिंग मशीन, रसोई घर के समान, हैंडसेट, मोबाइल संबंधी सामग्री, कंप्यूटर गेम जैसे उत्पादों की बिक्री त्योहार के दिनों में बढ़ जाती है. सर्वेक्षण के मुताबिक हालांकि इस बार त्योहार के दिनों में इनकी बिक्री उत्साहवर्धक नहीं रह सकती है. सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक लोगों के हाथों में पटाखों के साथ उड़ाने के लिए कम पैसे रहेंगे.
इसमें कहा गया, “खाद्य वस्तुओं की महंगाई का भी त्योहार के उत्साह पर असर पड़ा है. पेट्रोल की कीमत बढ़ने के कारण यातायात खर्च का बढ़ना भी निम्न और मध्य वर्ग पर भारी पड़ा है.”