आम बेचने गये चाय बेचने वाले
अंबिकापुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के शहरों एवं कस्बो में नीबू वाली बंगाली चाय बेचने वाले फिलहाल आम के कारोबार में लगे हैं. गर्मी के समय ये अपने शहर लालगोला लौट जाते हैं. इस कारण नींबू वाली काली मसालेदार चाय से प्रदेशवासी इस समय वंचित हैं.
अंबिकापुर, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, रायगढ़ से लेकर नैला-चांपा जैसे छोटे शहरो में ये चाय की बाल्टी लेकर घूमते प्रायः मिल जायेंगे. एक हाथ में जलते स्टोव पर केतली लटकाये तथा दूसरे हाथ में प्लास्टिक की कप से भरे बाल्टी लिये हुए अनायस ही नजर आ जाते हैं. काली चाय में नीबू निचोड़ के मसाला छिड़क-छिड़क कर ये आपको चाय पेश करते हैं.
ठंड हो या बरसात, सड़क हो या सरकारी कार्यालय, हर जगह इनकी सेवा उपलब्ध रहती है. चाय में डाले जाने वाले मसाले का राज ये आमतौर पर गोपनीय रखते हैं. अकेले बिलासपुर एवं रायपुर में ही ये चाय वाले तीन-तीन, चार-चार सौ की संख्या में हैं.
इन चाय बेचने वाले अधिकांश लोगों का अपना घर है पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले का लालगोला. लालगोला की आबादी करीब चार लाख है. यह जंगीपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है. इसका क्षेत्रफल 134 वर्ग किलोमीटर है. पद्मा नदी इसे बंगलादेश से अलग करती है. यहां का मुख्य व्यवसाय है मछली पकड़ना तथा गर्मी में आम के बागानों में काम करना.
चूंकि अब आबादी पहले की तुलना में बढ़ने के कारण हर किसी को मछली व्यवसाय में काम नहीं मिल पाता. इसी कारण नयी पीढ़ी के लड़के दूर छत्तीसगढ़ में आकर चाय का धंधा करते हैं. लेकिन गर्मी में जब आम की पैदावार होती है तो ये सब अपने वतन लौट जाते हैं, आम तोड़ने व बेचने के लिये.
अब थोड़ी बात आम पर. वर्ष 2012 में पश्चिम बंगाल में 7.23 लाख टन आम का उत्पादन हुआ. जिसका 60-70 प्रतिशत का उत्पादन मालदा तथा मुर्शिदाबाद में हुआ है. देश भर में प्रसिद्ध हिमसागर आम का उत्पादन लालगोला, मुर्शिदाबाद में ही होता है. इसके अलावा बेगमपसंद, रानीपसंद, मिरजापसंद आम यहां के ही हैं. डायबिटीज के रोगियों के लिये कम मीठा नाजुकबदन आम केवल यहीं मिलता है. अनारस के स्वाद वाला आम अनानस यहां की खासियत है.
आम का मौसम खत्म होते ही चायवाले फिर से छत्तीसगढ़ में आम हो जायेंगे. अगली बार जब इनसे चाय पीयें तो लालगोला के मशहूर आमों के बारे में पूछना न भूले.