भाजपा में अटल-आडवाणी युग समाप्त?
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: भाजपा संसदीय बोर्ड में अटल-आडवाणी-जोशी को शामिल नहीं किया गया. गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई पहले से ही उम्र तथा स्वास्थ्यगत कारणों से भाजपा में सक्रिय नहीं रहें हैं लेकिन आडवाणी तथा मुरली मनोहर जोशी को को पार्टी के संसदीय बोर्ड में न रखे जाने के अपने निहितार्थ हैं.
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के पहले लालकृषण आडवाणी को उम्मीदवारों की कई सूचियां जारी होने के बाद गांधीनगर की सीट पर उम्मीदवार घोषित किया गया था. निश्चित तौर पर आडवाणी के कद को देखते हुए इसे सामान्य नहीं माना जा सकता.
वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को मोदी के लिये अनमने भाव से ही सही वाराणसी की सीट छोड़नी पड़ी थी. लोकसभा चुनाव के पहले ही इस बात का संकेत मिलने लगा था कि भाजपा में अब नये नेताओं का उदय हो रहा है जो निश्चित तौर पर अटल-आडवाणी युग के बाद के युग के जाने का संकेत था.
भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को अपने केंद्रीय संसदीय बोर्ड का गठन किया. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को इसका अध्यक्ष बनाया गया है. पार्टी कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक 12 सदस्यीय बोर्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इसका सदस्य बनाया गया है.
अन्य सदस्यों में वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, अनंत कुमार, थावर चंद गहलोत, शिवराज सिंह चौहान, जगत प्रकाश नड्डा और रामलाल शामिल हैं.
पार्टी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को बोर्ड में नहीं लिया गया है. क्या इससे यह माना जाये कि भाजपा में मोदी-शाह युग का उदय हो चुका है.