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भाजपा ने टाला शिवसेना से टकराव

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: भाजपा ने शिवसेना के साथ होने वाले टकराव को टाल दिया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने घोषणा की है कि भाजपा, बीएमसी के मेयर तथा डिप्टी मेयर पद के लिये उम्मीदवारी नहीं करेगी तथा शिवसेना के उम्मीदवारों का समर्थन करेगी. इस तरह से भाजपा ने बीएमसी शिवसेना के हवाले करते हुये आगे संभावित टकराव को टाल दिया है.

बीएमसी का चुनाव भाजपा तथा शिवसेना ने अलग-अलग लड़ा है. इस चुनाव में शिवसेना को 84 तथा भाजपा को 82 सीटें मिली हैं. यदि भाजपा भी अपने मेयर तथा डिप्टी मेयर के उम्मीदवार खड़े करती तो इस बात की संभावना थी कि कांग्रेस तथा एनसीपी भी अपने उम्मीदवार खड़े करती. सभी अपने-अपने उम्मीदवारों को वोट देते तथा शिवसेना के मेयर तथा डिप्टी मेयर जीत जीते. लेकिन इससे शिवसेना के साथ भाजपा का टकराव बढ़ जाता.

भाजपा ने भले ही बीएमसी में शिवसेना के लिये रास्ता छोड़ दिया है परन्तु महाराष्ट्र में भाजपा का ही मुख्यमंत्री है. बगैर शिवसेना के यह संभव नहीं हो सकता. जाहिर है कि इसे राजनीतिक कौशल कहा जा सकता है जिसके तहत बड़ी हार से बचने के लिये छोटी हार को स्वीकार कर लिया गया है.

महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना का गठबंधन बाबा साहेब ठाकरे के समय का है. शिवसेना ने बीएमसी के बाद राज्य की राजनीति में जगह बनाई है. जाहिर है कि वह राज्य तथा राष्ट्र स्तर के राजनीति के कारण अपने आधार को खोना नहीं चाहती है. वैसे देखा जाये तो बीएमसी के ताजा चुनाव में सबसे बड़ा विजेता भाजपा ही है. साल 2012 में बीएमसी चुनाव में शिवसेना को 75 सीटें मिली थी जो इस बार बढ़कर 84 हो गई है. वहीं भाजपा 31 से 82 सीटों तक पहुंच गई है. इस तरह से बीएमसी का विजेता तो भाजपा ही है. लेकिन बीएमसी के मेयर पद की लड़ाई में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को खतरे में डाल देने को चतुराई नहीं कहा जा सकता है.

महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के 122 तथा शिवसेना के 63 विधायक हैं. शिवसेना के समर्थन से ही देवेन्द्र फड़णवीस मुख्यमंत्री बन सके हैं. अक्टूबर 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के समय भी शिवसेना के साथ भाजपा की तनातनी देखी गई थी. अंततः राज्य की सत्ता दोनों को मिली.

फिलहाल, भाजपा के सितारे बुलंदी पर हैं. केन्द्र में उसके पास अपने बलबूते पर सरकार बनाने की क्षमता है. लेकिन भाजपा को भी मालूम है कि हमेशा ‘मोदी लहर’ नहीं रहने वाली है इसलिये पुराने साथियों की जिद के आगे झुकने से भविष्य में उसे ही फायदा होने वाला है.

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