अमित शाह ने पहना कांटों भरा ताज
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: प्रधानमंत्री मोदी के विश्वस्त अमित शाह की रविवार को फिर से पार्टी अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी हुई है. आने वाले तीन साल प्रधानमंत्री मोदी तथा अमित शाह के लिये सबसे चुनौतीपूर्ण रहेंगे. इन तीन सालों में पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम के बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें से पश्चिम बंगाल में राज्यसभा की 16, केरल से 9, तमिलनाडु से 18 तथा असम से 7 सीटें हैं. इसी तरह से उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 31, उत्तराखंड से 3, पंजाब से 7, गोवा से 1 तथा मणिपुर से 1 सीट हैं.
कुल मिलाकर आने वाले दो सालों में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें राज्यसभा की 93 सीटें हैं. राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं. इस लिहाज से भाजपा के लिये चुनौती है कि इन राज्यों में चुनाव जीते ताकि राज्यसभा में उसके सदस्यों की संख्या में इज़ाफा हो सके. आज की तारीख में भाजपा राज्यसभा में अल्पमत में है जिसके कारण उसे कई मौके पर रणनीतिक महत्व के मुद्दों पर भी अपने कदम वापस लेने पड़े हैं. अमित शाह के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के राज्यसभा के सदस्यों में इज़ाफा करना है.
2014 के लोकसभा चुनावों में अमित शाह ने जिस तरह से उत्तर प्रदेश में पार्टी को 80 में से 73 सीटें दिलवा दी थी उससे राष्ट्रीय राजनीति में उनकी पहचान बनी. परन्तु इसके बाद होने वाले दिल्ली तथा बिहार के चुनाव में न तो मोदी का जादू चल सका और न ही अमित शाह की सांगठनिक काबिलियत कुछ हासिल कर पाई है. निश्चित तौर पर पार्टी तथा मोदी चाहेंगे कि अमित शाह इन राज्यों में कम से कम पश्चिम बंगाल में अपनी सीटों में बढ़ोतरी कर सके तथा उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का नतीजा दुहरा सके.
इस तरह से अमित शाह ने कांटो भरा ताज पहना है जिसका अर्थ है कि आगे यदि असफलता मिलती है तो उनके साथ-साथ प्रदानमंत्री मोदी की भी किरकिरी होगी. उनका चुनाव अध्यक्ष पद के पूरे तीन साल के कार्यकाल के लिए हुआ है. 51 वर्षीय शाह का चुनाव सर्वसम्मति से हुआ. भाजपा मुख्यालय में हुए इस चुनाव में पार्टी के लगभग सभी बड़े नेता मौजूद थे. सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने शाह का नारों के साथ स्वागत किया.
भाजपा नेता अविनाश राय खन्ना ने मीडिया को बताया, “अमित शाह को निर्विरोध चुन लिया गया है.”
फ्रांस के राष्ट्रपति की अगवानी के लिए चंडीगढ़ जाने की वजह से प्रधानमंत्री मोदी इस मौके पर मौजूद नहीं थे. लेकिन, अध्यक्ष चुने जाने पर उन्होंने शाह को बधाई दी.
मोदी ने कहा “भाजपा अध्यक्ष के रूप में अमित शाह के निर्वाचन पर बधाई. मुझे पूरा विश्वास है कि उनके नेतृत्व में पार्टी नई ऊंचाइयां तय करेगी.”
मोदी ने कहा, “अमित भाई के जमीनी स्तर पर उनके अथक परिश्रम और संस्थागत अनुभव से पार्टी को लाभ होगा.”
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में शाह के दोबारा निर्वाचन पर उन्हें हार्दिक बधाई. वह पार्टी के सफलतम अध्यक्ष रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी विकास के पथ पर अग्रसर होगी और नई ऊंचाइयों और उपलब्धियों को हासिल करेगी.”
शाह ने इस मौके पर कोई भाषण नहीं दिया. मीडिया से भी उन्होंने कुछ नहीं कहा.
शाह युवावस्था में गुजरात में आरएसएस के संपर्क में आए थे. 1982 में उनकी मुलाकात मोदी से हुई. तब से दोनों नेताओं के बीच घनिष्ठता बनी हुई है. उन्होंने 1983 में आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ली और 1986 में भाजपा में शामिल हुए. चार बार विधायक चुने जा चुके शाह गुजरात के गृह मंत्री रह चुके हैं.
इस खास मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी मौजूद नहीं थे. माना जाता है कि ये नेता शाह के काम करने के तौर-तरीके को पसंद नहीं करते. इस तरह से अमित शाह को पार्टी के अंदर के धुरंधरों से भी समय-समय पर चुनौती मिलती रहेगी इसमें कोई शक नहीं है.