इतिहास

इतिहास में दर्ज हो गए इतिहासकार

नई दिल्ली | एजेंसी: भारतीय इतिहास लेखन में अपनी दृष्टि और विचारों के लिए शीर्षस्थ इतिहासकारों में गिने जाने वाले बिपिन चंद्रा का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. तत्कालीन पंजाब और आज के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में 1928 में जन्मे बिपिन चंद्रा ने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्टैन फोर्ड विश्वविद्यालय और उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की. दिल्ली विश्वविद्यालय से ही उन्होंने प्रोफेसर बिशेश्वर प्रसाद के मार्गदर्शन में शोध पूरा किया. बाद में वे इसी विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में व्याख्याता और फिर रीडर बने.

बिपिन चंद्रा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की स्थापना के तुरंत बाद ही वहां इतिहास के प्रोफेसर नियुक्त किए गए और लंबे समय तक वहां अध्यापन किया.

बिपिन चंद्रा को जिस काम के लिए याद किया जाता है, वह है उनका लिखा आधुनिक भारत का इतिहास. वे इतिहास के आधुनिककाल संकाय के आधिकारिक विद्वान माने जाते थे. इसके अलावा महात्मा गांधी के संबंध में अपनी आलोचनात्मक नजरिए और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधी की महती भूमिका को जिस बारीकी से चंद्रा ने सामने रखा है, उसने उन्हें गांधी पर भी आधिकारिक ज्ञान रखने वाली हस्ती के रूप में मान्यता दिलाई.

अपनी सूक्ष्म और व्यावहारिक विश्लेषणात्मक दृष्टि रखने वाले बिपिन चंद्रा कभी भी मान्यताओं और मिथकों को सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया. भारत की विभिन्न जातियों और उनके आविर्भाव के बारे में सटीक जानकारी पेश करने के कारण वे कई बार विवादों में भी आए. मार्क्‍सवादी धारा के इतिहासकार बिपिन चंद्रा को उनकी किताब ‘स्वातं˜योत्तर भारत’ और ‘भारत का स्वतंत्रता संघर्ष’ को लेकर कांग्रेसी होने का भी आरोप लगा.

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