बिहार में सत्ता का दंगल
पटना | समाचार डेस्क: बिहार में सत्ता का दंगल जारी है जिसमें जीतन राम मांझी यथास्थिवादी बने हुए हैं. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के यथास्थितिवादी बने रहने में उन्हें सत्ता का सुख मितला रहेगा वहीं, पूर्व नीतीश कुमार की पुरजोर कोशिश है कि जीततन राम मांझी के हाथ से उस्तरा को छीन लिया जाये. जिससे वे बिहार जदयू को नुकसान न पहुंता पाये. जब नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को अपनी कुर्सी सौंपी थी उस समय वे ‘भरत’ की मुद्रा में थे जबकि अब उनके तेवर बागी हैं. जाहिर है कि इस सत्ता के दंगल में विपक्षी भाजपा अपने लिये ठौर की तलाश में है. आखिरकार, जदयू के कतारों में जड़ता तथा टूट का फायदा बिहार में भाजपा को हो सकता है. कम से कम भाजपा तो यही उम्मीद लगाये बैठी है.
उधर, शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझा दिल्ली पहुंच गये हैं. रविवार को दिल्ली में नीति आयोग के संचालन समिति की बैठक भी है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी अवश्य शिरकत करेंगे. जाहिर है कि जीतन राम मांझी की आखिरी उम्मीद केन्द्र सरकार से है क्योंकि ऐसे स्थिति में राज्यपाल की भूमिका महत्वपूरण हो् जाती है.
बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल युनाइटेड में भीतरी घमासान के कारण शनिवार को नया मोड़ आ गया. बिहार मंत्रिमंडल की आधी-अधूरी बैठक में जहां मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को विधानसभा भंग करने की अनुशंसा के लिए अधिकृत कर दिया, वहीं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव द्वारा आहूत पार्टी विधानमंडल दल की बैठक में नीतीश कुमार को विधायक दल का नया नेता चुन लिया गया.
जदयू में सरकार के नेतृत्व को लेकर पिछले तीन दिनों से चल रही उठापटक सतह पर आ गई. शनिवार को एक बार फिर दोनों खेमे के बीच समझौते का प्रयास हुआ, लेकिन सहमति न बन पाने के बाद मंत्रिमंडल की आपात बैठक हुई. बैठक में विधानसभा को भंग कर राज्य में चुनाव कराने के लिए राज्यपाल को सही समय पर अनुशंसा भेजने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करने का प्रस्ताव जैसे ही पेश हुआ, नीतीश समर्थक मंत्री प्रस्ताव का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकल गए.
बैठक समाप्त होने के बाद बाहर निकले संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आवास पर बुलाई गई बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश का प्रस्ताव पेश किया था.
उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव के रखे जाने के साथ ही 21 मंत्री वहां से उठकर चल दिए और मुख्यमंत्री सहित सात मंत्री वहां बैठे रह गए. प्रस्ताव का मुख्यमंत्री सहित सात मंत्रियों ने समर्थन किया.
इधर, मंत्री भीम सिंह ने बताया कि बैठक में विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक में पक्ष और विपक्ष नहीं होता.
दूसरी ओर, अध्यक्ष शरद यादव द्वारा पार्टी विधानमंडल दल की बुलाई गई बैठक में नीतीश कुमार को एक बार फिर पार्टी विधायक दल का नेता चुन लिया गया. इस बैठक में जदयू के 97 विधायकों और 37 विधान पार्षदों ने भाग लिया.
इस बीच जदयू महासचिव क़े सी़ त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार को 130 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. जल्द ही राज्यपाल से मिलने का समय मांगा जाएगा.
सूत्रों के अनुसार, नीतीश समर्थक माने जाने वाले मांझी मंत्रिमंडल में शामिल कुछ मंत्री राजभवन जाकर इस्तीफा सौंप सकते हैं.
इससे पहले मंत्रिमंडल की बैठक के पूर्व नीतीश और मांझी के बीच सुलह-सफाई की कोशिश चलती रही. पहले मांझी समर्थक मंत्री नरेंद्र सिंह और वृषिण पटेल पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पहुंचे और इसके बाद मांझी भी वहां पहुंच गए. शरद यादव वहां पहले से ही मौजूद थे. एक घंटे चली बातचीत के बाद भी दोनों खेमे में सहमति नहीं बन पाई.
मांझी ने राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को पत्र लिखकर शरद यादव द्वारा विधानमंडल दल की बैठक बुलाने को असंवैधानिक करार देते हुए बैठक में लिया गया फैसला मंजूर न करने का आग्रह किया है. उन्होंने पत्र में कहा है कि उन्हें विधानसभा में बहुमत हासिल है और जरूरत पड़ने पर वह बहुमत साबित कर देंगे.
मांझी ने 15 मंत्रियों को बर्खास्त करने की अनुशंसा राज्यपाल से की है. मंत्री विनय बिहारी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने 15 मंत्रियों को बर्खास्त करने की अनुशंसा राज्यपाल से की है. उन्होंने कहा कि मांझी मंत्रिमंडल में जल्द ही 22 मंत्रियों को शामिल किया जाएगा.
गौरतलब है कि मांझी ने शुक्रवार को राज्यपाल से दो मंत्रियों ललन सिंह और पी़ क़े शाही की बर्खास्त करने की अनुशंसा की थी, जिसकी मंजूरी राज्यपाल ने दे दी.
उल्लेखनीय है कि बिहार के कार्यवाहक राज्यपाल त्रिपाठी इस समय पटना से बाहर हैं, मांझी को प्रधानमंत्री के साथ बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली गये हुए है. इस सियासी संकट के बीच सभी की नजरें अब राजभवन पर टिकी हुई हैं.