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हम किस गांव के वासी हैं?

रेजाउर रहमान | सीतामढ़ी: अपने पांचवें चरण की निश्चय यात्रा के दौरान भभुआ के जगजीवन स्टडियम में चेतना सभा को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था “सात निश्चय के माध्यम से हम गांव गांव को स्मार्ट बना देगें. लोगो को केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी को देखने की जरुरत नही होगी. 2017 तक हर घर में बिजली का बल्ब होगा. हर गांव को पूरी तरह स्मार्ट बनाया जाएगा”. लेकिन बिहार के सीतामढ़ी जिला में नानपुर प्रखण्ड से सात किलोमीटर दूर बसे मझौर गांव की स्थिति को देखकर ऐसा नही लगता कि ये प्रखंड 2017 तक वास्तव में स्मार्ट बन पाएगा.

इसके कई कारण हैं जिनमें से सबसे पहला है यहां बिजली का न होना, अधिक जानकारी के लिए जब मैंने मझौर का भ्रमण किया तो मेरी मुलाकात साबीर मिस्त्री से हुई जिन्होंने बताया “हमारे यहां बिजली नही है और न ही सड़क बनी है. विकास क्या होता है हम तो जानते ही नही. हमें कोई देखने वाला नहीं है”. अब्दुल कुद्दूस कहते हैं “हम खुदा के हवाले जिते है कोई परेशानी नही सुनता. कोई बोलता है जहां वोट गिराया है उससे समझों तो दूसरा कहता है हमारे नक्शे में आप नहीं हैं”.

गांव की एक महिला नूरजहां ने कहा “हम का भाग कर आये है हम बहुत दिन से यहां पर है हमरा बाप दादा की जमीन है. तब यहां रह रहे हैं. हम मझौर में ही रहेगें. कोई का करी तेल राशन हमको सरकार देता है तो हम जाके लाते हैं”.

मो. मन्नान की बेटी ने बताया “हम सब ठिकहा मदरसा नइमीया अजीजीया में जाते है मगर बहुत दूर है. हम रात का खाना खाकर जाते हैं अल्लाह हम गरीब की बात नहीं सुनता है”. जब मन्नान से बात हुई तो वह बोला “भाई साहब गरीब का कोई नहीं होता है. गरीब है तो कहां कहां जाएं? यहां के मुखिया से बात करो तो बोलता है कि हमारे नक्शे में आप नही हैं तो डोरपुर का मुखिया बोलता है आप वोट हमारे यहां नहीं गिराते है”.

एक अन्य महिला ने बताया “यहां मझौर में सड़क कोई ना बनावे को तैयार है ना कोई बिजली लगवाता है”. दूसरे ग्रामीण मुस्तकीम अंसारी से बात हुई उन्होने बताया ” यहां पढ़ने की सही व्यवस्था भी नही है”.

इस बारे में मझौर पंचायत के मुखिया मो. सउद साहब ने कहा “हमकों पहले बी.डी.ओ. से पता करना है कि ये लोग किस गांव के वासी माने जाएंगे क्योंकि ये डोरपुर से आकर यहां बस गए हैं. इसके बाद ही हम फैसला लेंगे की कौन-सा काम कैसे करें”.

वहीं दूसरी ओर डोरपुर पंचायत के मुखिया कहते हैं “हमको जनता ने जिताया है हम जल्द कोई फैसला लेकर काम करेगें ताकि यहां के लोगो को और दिक्कत नही हो.

डोरपुर के समाजिक कार्यकर्ता रेजाउल्लाह ने बताया पंचायत चुनाव से पहले वह बी.डी.ओ. से मिले तो बी.डी.ओं ने बताया क्योंकि 2011 की जनगणना के अनुसार ये परिवार डोरपुर पंचायत के हैं, जबकि वोटर लिस्ट के अनुसार मझौर पंचायत के, इसलिए सही रुप में इनकी पुष्टि नही हो पा रही है.

नानपुर के बी.डी.ओ के अनुसार “जिसका जिस गांव की जमीन पर घर होगा उसकों उसी गांव का निवासी माना जाएगा. इसलिए वह लोग पहले आवेदन दे फिर उसकी जांच के बाद हम फैसला करेंगे. कौन लोग मझौर पंचायत के है और कौन लोग डोरपुर पंचायत के हैं. सब साफ होने के बाद ही विकास का काम शरु किया जाएगा”.

स्पष्ट है कि जबतक ये साबित नही हो जाता कि मझौर गांव में रह रहे लोग वास्तविक रुप से किस गांव के वासी हैं तबतक इन्हें और इनके गांव को विकास के लिए इंतजार करना होगा.

(चरखा फीचर्स)

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