नीतीश विधायक दल के नेता बने
पटना | एजेंसी: बिहार जदयू के 115 में से करीब 100 विधायकों ने नीतीश कुमार को नेता चुन लिया है. इससे बिहार का राजनीतिक संकट और उलझ गया है. दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मंत्रिमंडल सदस्यों के अल्पमत से बिहार विधानसभा भंग करने का फैसला ले लिया है. बिहार में सत्ताधारी जनता दल युनाइटेड में चल रही उठापटक के बीच शनिवार को मामले में नया मोड़ आ गया. अब जीतनराम मांझी और नीतीश कुमार आमने-सामने दिख रहे हैं. मुख्यमंत्री मांझी ने जहां अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के बहुमत को दरकिनार करते हुए राज्य विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विधायक दल का नया नेता चुन लिया गया है. नेता बनकर नीतीश ने इस बात के स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वे सत्ता के शिखर पर फिर से आसीन हो सकते हैं.
इस ताजा घटनाक्रम से पहले मांझी ने नीतीश कुमार से उनके सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात की और ‘सुलह’ का प्रयास किया था. जदयू में जीतन को नेता पद से हटाकर नया नेता चुनने का दबाव बढ़ने से संकट गहरा गया था.
जदयू के एक नेता ने कहा, “नीतीश कुमार के आवास पर पहुंच मांझी ने कुछ मुद्दों पर समझौते का प्रयास किया.”
पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने पार्टी में संकट खत्म करने के लिए बैठक में मांझी और नीतीश कुमार दोनों को बुलाया था.
शाम को होने वाली इस बैठक के पहले मांझी ने भी मंत्रिमंडल की बैठक आनन-फानन में बुलाई थी. बंद कमरे में हुई बैठक में मंत्रियों के साथ पार्टी के कुछ नेता मौजूद थे.
मंत्रिमंडल की बैठक में मांझी ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का फैसला लिया.
मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि वरिष्ठ मंत्री नरेंद्र सिंह ने मंत्रिमंडल की बैठक में विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पेश किया. जैसे ही प्रस्ताव पेश किया गया वैसे ही मंत्रिमंडल के 28 सदस्यों में से 21 बैठक से उठकर चले गए.
मंत्री श्याम रजक ने कहा, “मुख्यमंत्री मांझी सहित केवल सात मंत्रियों ने मंत्रिमंडल में प्रस्ताव का समर्थन किया और 21 मंत्रियों ने फैसले को खारिज कर दिया.”
रजक और यादव दोनों ही नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं.
मांझी के करीबी जदयू नेताओं के मुताबिक, मुख्यमंत्री विधानसभा भंग करने संबंधी प्रस्ताव को राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के पास भेजने के लिए तैयार हैं.
दूसरी तरफ शाम को हुई विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार को नया नेता चुन लिया गया.
पार्टी एक नेता ने कहा, “जदयू के 115 में से करीब 100 विधायक बैठक में मौजूद थे. उन्होंने नीतीश कुमार को नया नेता चुना.”
शरद यादव ने मांझी को बदले जाने के अनुमान के बीच बैठक बुलाई थी.
नेतृत्व के मुद्दे पर शुक्रवार को संकट तब और गहरा गया था जब नीतीश कुमार के समर्थक और मांझी एवं पार्टी के भीतर उनके समर्थकों के बीच जबानी जंग हो गई थी. मुख्यमंत्री ने शनिवार को बुलाई गई जदयू विधायक दल की बैठक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दे दिया था. इसके बाद नीतीश खेमे ने मांझी के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी थी.
मांझी ने हालांकि 20 फरवरी को विधायक दल की बैठक बुलाई थी.
उधर, बिहार में जनता दल युनाइटेड विधायक दल का दोबारा नेता चुने जाने के बाद नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला.
उन्होंने भाजपा पर जदयू को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया. जदयू के विधायकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “हमारी पहचान सुशासन रही है परंतु मेरे हटने के बाद राज्य में परेशानी बढ़ गई थी. लोग सरकार के कामकाज को लेकर मुझसे शिकायत करने लगे थे. बिहार में जो हो रहा था वह ठीक नहीं था.”
उन्होंने कहा कि भाजपा जिस तरह से काम कर रही है, वैसा बिहार की राजनीति में कभी नहीं हुआ था. पिछले राज्यसभा के चुनाव में पैसे और धन बल का खेल खेला गया.
नीतीश ने कहा कि अगर उस समय राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस का साथ नहीं मिला होता तो बिहार में सरकार बचा पाना भी मुश्किल होता.
उन्होंने कहा, “बिना सुशासन के सोशल इंजीनियरिंग नहीं हो सकता. हमारे पास संख्या बल है और फिर से सरकार बनाने में सफल रहेंगे.”