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बिहार: बहुमत की परीक्षा

पटना | समाचार डेस्क: राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने मांझी सरकार से 20 फऱवरी को विधानसभा में बहुमत साबित करने कहा है. राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी के आदेशानुसार 20 परवरी को राज्यपाल के अभिभाषण के बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपना सदन में अपना बहुमत साबित करेंगे. यह बहुमत लॉबी जिवीजन या गुप्त मतदान के आधार पर होगा.

इससे पहले बुधवार शाम को पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 130 विधायकों की राष्ट्रपति के सामने परेड कराई. वहीं, बुधवार को ही पटना उच्च न्यायालय ने बिहार जदयू विधायक दल का नीतीश कुमार को नेता चुने जाने पर यथास्थिति बनाये रखने के लिये कहा है.

उल्लेखनीय है कि जीतन राम मांझी शुरू से ही विधायक दल के नेता के चुनाव को असंवैधानिक बता रहे थे. सात फरवरी को जदयू विधायक दल की बैठक में नीतीश को नया नेता चुना गया था.

सोमवार को नीतीश कुमार ने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन जाकर समर्थन पत्र सौंपते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया था और कहा था कि यदि 24 घंटे के भीतर फैसला नहीं सुनाया गया तो वे समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली रवाना होंगे और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर अपना पक्ष रखेंगे.

भाजपा की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता विनोद नारायण झा ने बुधवार को कहा कि असली जदयू मांझी चला रहे हैं. उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि हॉर्स ट्रेडिंग कर नीतीश विधायकों को दिल्ली ले गए हैं.

समाजवादी पार्टी सांसद मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में विधायकों ने राष्ट्रपति से मुलाकात की. मुलाकात के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा कि हमने सारे सबूत के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की और उनसे इस संबंध में शीघ्र फैसला लेने का निर्देश राज्यपाल को देने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि फैसला लेने में देरी से माहौल बिगड़ रहा है और यह भाजपा की चाल है ताकि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की परिस्थितियां निर्मित हो जाए.

प्रतिनिधि मंडल में शामिल लालू प्रसाद ने भी भाजपा की आलोचना की. विधायकों का यह दल जदयू अध्यक्ष शरद यादव के आवास से रवाना हुआ था. नीतीश कुमार के समर्थक 130 विधायकों में जदयू के 99, राजद के 24, कांग्रेस के 5, भाकपा के 1 और 1 निर्दलीय विधायक शामिल हैं.

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान समय में 10 सीट रिक्त है. बहुमत साबित करने के लिए कुल 117 विधायकों की संख्या आवश्यक है. इस्तीफा नहीं देने और सदन में बहुमत साबित करने पर अड़े मुख्यमंत्री मांझी को भाजपा से समर्थन की आस है.

भाजपा के पास 87 विधायक हैं और इसके अतिरिक्त तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मांझी के पक्ष में है. वैसे अब 20 फऱवरी के बहुमत की परीक्षा की प्रतीक्षा है.

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