बिहार का नतीजा मोदी को बदल देगा?
श्रवण गर्ग
नई दिल्ली | बीबीसी: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आठ नवंबर को घोषित होंगे. इन चुनावों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख का पैमाना माना जा रहा है. इन चुनावों में भाजपा की जीत हुई तो मोदी की कार्यशैली किस तरह बदलेगी और यदि भाजपा को शिकस्त झेलनी पड़ी तो पार्टी में उनका रूतबा कैसा होगा.
बिहार में अगर भाजपा जीती तो राजनीति पर ये असर पड़ेगा कि देश की राजनीति एकतरफ़ा हो जाएगी. मोदी की राजनीतिक शक्ति और ज़्यादा बढ़ जाएगी. ये अलग बात है कि मोदी इस शक्ति का इस्तेमाल किस तरह से करना चाहेंगे. अपने काम को और लोकतांत्रिक बनाने में करेंगे या कुछ और.
राजनीति का स्वरूप इस मायने में अलग होगा कि मोदी की भाजपा पर, एनडीए पर और संघ पर पकड़ और मजबूत हो जाएगी. मतलब ये है भाजपा और एनडीए अपने राजनीतिक एजेंडे को और अधिक आत्मविश्वास और शक्ति के साथ लागू करने की स्थिति में होंगे. उनके लिए चुनौतियां लंबे अरसे तक कम हो जाएंगी.
दरअसल, बिहार के चुनाव देश की नब्ज टटोलने के नाम पर हैं कि पिछले डेढ़ साल में मोदी की स्वीकार्यता कितनी मजबूत हुई है. अगर बिहार में मोदी जीतते हैं तो असम, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बंगाल में होने वाले चुनावों पर इसका साफ़ असर दिखेगा.
सबसे बड़ा असर ये होगा कि भाजपा के पक्ष में नए समीकरण बनेंगे. एनडीए के घटक दलों पर मोदी की पकड़ और ज़्यादा मज़बूत होगी. बिहार के चुनाव देश का राजनीतिक एजेंडा भी तय करने वाला है. आरएसएस का दृष्टिकोण भी इस चुनावों के नतीजों से प्रभावित होगा.
उदाहरण के लिए आरक्षण मुद्दे पर मोदी के एजेंडे को संघ को स्वीकार करना पड़ सकता है. चुनावों से ठीक पहले संघ ने आरक्षण नीति की समीक्षा करने की मांग की थी, जबकि बाद में मोदी ने चुनावी सभा में कहा था कि उनके जीते जी आरक्षण नहीं हटेगा.
अगर बिहार में भाजपा जीती तो ये मोदी और मोदी के नजदीकियों की जीत होगी.
000अगर भाजपा हारी तो
मेरा आकलन है कि भाजपा की स्थिति कमज़ोर नहीं होगी. जहाँ तक पार्टी की बात है तो इससे भाजपा मजबूत ही होगी. पार्टी को इससे अपने अंदर झांकने का मौका मिलेगा. ये पार्टी को ज़्यादा विनम्र और लोकतांत्रिक बनाएगा.
पार्टी की देश और दुनिया में स्वीकार्यता को एक नए तरीके से प्रभावित करेगा. वे तमाम लोग जिनके कारण पार्टी की छवि असहिष्णु के तौर पर बन रही है, वो कमज़ोर होंगे.
जब हार के लिए सिरों पर ठीकरे फोड़ने वालों की तलाश की जाएगी तो वो भी सामने होंगे. बंगाल, असम, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश के चुनावों में इसका ज़बर्दस्त असर देखने को मिलेगा.
मोदी के कार्य में परिवर्तन की गुंजाइश बिहार के चुनाव डाल पाएं तो मोदी और उनके नजदीकियों पर दबाव बनेगा.