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शराबबंदी का नीतीश का साहसिक कदम

पटना | समाचार डेस्क: बिहार में नीतीश कुमार का शराबबंदी का फैसला एक साहसिक कदम माना जा रहा है. शराबबंदी एक सामाजिक जरूरत बन गई है. बेरोजगारी, महंगाई, अशिक्षा से जूझ रहा व्यक्ति नशे में अपने समस्याओं का समाधान खोजता है. और इस कोशिश में वह एक नये सामाजिक समस्या को जन्म देता है. जिसकी जद में उसका पूरा परिवार आ जाता है. शराबी के परिवार में बच्चों तथा महिलाओं पर हिंसा होती है. व्यक्ति शराब पीने के लिये और कर्ज के जाल में फंसता जाता है. आखिरकार इससे परिवार की दुशवारियों में इजाफ़ा ही होता है वह कम नहीं होता है.

शराब से छुटकारा दिलाने के लिये नीतीश सरकार के द्वारा उठाया गया कदम दरअसल समाज सुधार का साहसिक कदम है. जो लोग खुले तौर पर इसे समर्थन दे रहें हैं उनमें से ही कुछ इसे धाराशायी करने का काम भी गुपचुप करेंगे इसमें संदेह नहीं है.

नीतीश सरकार के शराबबंदी को साहसिक कदम इसलिये माना जा रहा है कि क्योंकि पिछले साल शराब से बिहार सरकार को करीब 3300 करोड़ का राजस्व मिला था जो इस साल बढ़कर 4000 करोड़ रुपये को पार कर जाता. जाहिर है कि राजस्व में इस कमी को पूरा करने का काम बिहार सरकार को ही करना है.

बिहार में शराब पर पूरी तरह पाबंदी लग गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में पूर्ण शराबबंदी के फैसले के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. राज्य में अब कहीं भी कानूनी रूप से शराब का सेवन नहीं किया जा सकेगा.

बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में तत्काल प्रभाव से सभी तरह की शराब की खरीद और बिक्री व उपभोग पर पाबंदी लगा दी गई है. इधर, सरकार के इस फैसले का सभी राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “बिहार में देसी शराबबंदी के उत्साहजनक परिणाम को देखते हुए अब तत्काल प्रभाव से विदेशी शराब के भी थोक एवं खुदरा व्यापार और उसके उपभोग को प्रतिबंधित कर दिया गया है.”

बिहार में पूर्ण शराबबंदी नीतीश कुमार का चुनावी वादा था. इस फैसले के बाद, अब बिहार में किसी भी तरह की शराब की बिक्री पूर्णत: बंद हो जाएगी. इसी के साथ गुजरात, नागालैंड और मणिपुर के बाद बिहार पूर्ण शराबबंदी वाला चौथा राज्य बन गया है.

गौरतलब है कि देसी और मसालेदार शराब की खरीद और बिक्री पर एक अप्रैल से ही पाबंदी लगा दी गई है.

नीतीश ने शराबबंदी के फैसले के लिए महिलाओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके प्रयासों के कारण ही आज राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू हो सकी. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में हमने नई शराब नीति बनाई गई है और लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया.

उन्होंने कहा, “देसी शराब पर लगे प्रतिबंध के पहले चार दिन में ही यह सामाजिक आंदोलन बन गया है. शहरों में भी महिलाएं सरकारी शराब की दुकानों का विरोध कर रही हैं, जैसा हमने छह महीने में करने की योजना बनाई थी. मुझे लगता है कि बिहार में सामाजिक परिवर्तन के लिए यह सही समय है. इस फैसले से बिहार में सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी जा चुकी है.”

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के किसी भी होटल और बार में अब शराब नहीं परोसी जाएगी और न ही किसी को इसका लाइसेंस दिया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसमर्थन की वजह से सरकार ने तत्काल प्रभाव से विदेशी शराब की दुकानों को बंद करने का फैसला किया है. इसके साथ ही सरकार ने उन सभी दुकानों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं, जिसमें बेवरिज कर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा नगर निगम और नगर परिषद क्षेत्र में विदेशी शराब बेची जानी थी.

मंत्रिपरिषद की बैठक में कुल आठ प्रस्तावों को मंजूरी दी गई.

राज्य में शराबबंदी की घोषणा का उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने स्वागत किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “महिलाओं और बच्चों का शराबबंदी के प्रति उत्साह व समर्थन को देखते हुए बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई है.” इसके साथ उन्होंने ट्वीट कर कहा, “नशा छोड़ो, समाज जोड़ो, जय हो.”

राज्य में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.

नीतीश सरकार द्वारा बिहार में पूर्ण शराबबंदी के निर्णय का स्वागत करते हुए राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भाजपा के दबाव के कारण सरकार पूर्ण शराबबंदी के लिए तैयार हुई है. उन्होंने कहा कि भाजपा इसमें नीतीश सरकार को पूरा सहयोग देगी.

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा शुरू से ही पूर्ण शराबबंदी की पक्षधर रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा के दबाव के कारण ही सरकार पूर्ण शराबबंदी के लिए तैयार हुई है.

भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि विपक्ष और लोगों के आंशिक शराबबंदी के विरोध और पूर्ण शराबबंदी की मांग के कारण सरकार को झुकना पड़ा. उन्होंने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.

जन अधिकार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा ने पूर्ण शराबबंदी का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी पार्टी लंबे अरसे से पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर आंदोलन चला रही थी, यह इसी आंदोलन का परिणाम है.

उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को बिहार विधानसभा में शराबबंदी को लेकर ‘बिहार उत्पाद संशोधन विधेयक 2016’ सर्वसम्मति से पास हुआ. इस दौरान सदन में विधायकों ने भी शराब नहीं पीने की शपथ ली.

शराबबंदी को सफल बनाने के लिए उत्पाद संशोधन विधेयक में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. जहरीली शराब बनाने वालों को मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, जबकि शराब पीकर कोई विकलांग हुआ तो शराब बनाने वाले को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.

शराब पीकर घर में हंगामा करने वाले को 10 साल की सजा और सार्वजनिक जगहों पर हंगामा करने पर न्यूनतम 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

बिहार में शराबबंदी को लेकर जनजागरण अभियान के तहत अब तक 1.17 करोड़ से ज्यादा स्कूली बच्चों के अभिभावकों से शराब नहीं पीने का शपथपत्र भरवाया गया है तथा सात लाख से ज्यादा दीवारों पर नारे लिखे गए हैं. बिहार में शराबबंदी को नीतीश सरकार ने सामाजिक दृष्टिकोण से देखा है. यह उनके निर्णय को पूरी तरह से पढ़ने पर स्पष्ट हो जाता है. जिसके तहत शराब पीकर घर में हिंसा करने की न्यूनतम सजा शराब पीकर सार्वजनिक स्थलों पर हिंसा करने से दोगुना रखा गया है.

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