छत्तीसगढ़ में नकली बीज से किसान परेशान
रायपुर। संवाददाताः छत्तीसगढ़ में प्रमाणित बीज के नाम पर हर साल किसान छले जा रहे हैं. अधिक उत्पादन के नाम पर किसानों को प्रमाणित बीज के नाम पर अमानक बीज थमाए जा रहे हैं.
कबीरधाम, बेमेतरा, मुंगेली, राजनांदगांव, बिलासपुर, बस्तर में इन बीजों को लगाने के बाद खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. इन बीजों में अंकुरण न होने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं.
बस्तर में पिछले महीने खाद-बीज बेचने वाली 21 दुकानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई थी. नकली बीज-खाद बेचने के मामले राजधानी रायपुर तक में मिले हैं लेकिन अब तक इन पर कोई लगाम नहीं लग पा रहा है.
बताया जा रहा है कि प्रमाणित बीज तैयार करने वाली ज्यादातर फर्म बाहरी हैं. ये फर्म अमानक बीज बेचकर यहां से रफूचक्कर हो जाती हैं और बाद में इसकी खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है.
किसानों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली इन फर्म के खिलाफ शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती, बल्कि इनमें से कई फर्म को अगले वर्ष के लिए फिर अनुबंधित कर लिया जाता है.
वहीं बहुत सी फर्म नाम बदलकर फिर से अनुबंध में शामिल हो जाती हैं.
154 में से केवल 44 छत्तीसगढ़ की
कृषि विभाग की वेबसाइट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में प्रमाणित बीज बेचने के लिए कुल 154 फर्म अनुबंधित हैं. इनमें से 44 फर्म ही छत्तीसगढ़ की हैं, बाकी दूसरे राज्यों की हैं.
छत्तीसगढ़ की 44 फर्म में से 30 रायपुर की हैं. दुर्ग और महासमुंद की तीन-तीन, बिलासपुर की दो और भाटापारा, कवर्धा, बैकुंठपुर, जांजगीर, कोंडागांव और रायगढ़ की एक-एक फर्म शामिल हैं.
वेबसाइट में उपलब्ध फर्म के नामों की सूची में कंपनियों के नाम-पते तक ढंग से नहीं लिखे गए हैं. अधिकांश फर्म के पते में केवल मोहल्लों के नाम दर्ज हैं.
इससे वह कंपनी कहां की है, यह भी पता नहीं चल पा रहा है.
फर्म के नाम-पते सही न लिखने या आधे-अधूरे लिखने के पीछे की मंशा को समझना मुश्किल नहीं है.
विधानसभा में उठा मामला
छत्तीसगढ़ में अमानक खाद-बीज वितरण का मामला इन दिनों गर्माया हुआ है.
विधानसभा में इसे लेकर जमकर हंगामा हो चुका है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले को उठाते हुए कृषि मंत्री से जवाब मांगा.
प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से बीजों में अंकुरण नहीं होने की लगातार शिकायतें आ रही हैं.
बीज खराब होने से किसानों को दोबारा बुआई करनी पड़ रही है, लेकिन किसानों के पास बीज नहीं हैं.
नौबत ऐसी आ गई है कि कहीं जमीन पड़ती ना पड़ जाए. अगर ऐसा हुआ तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.
जांच में नमूने हुए फेल
किसानों की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नकली या अमानक खाद-बीज और कीटनाशक दवाओं के वितरण पर सख्ती से रोक लगाने निर्देश दिए थे.
इसके बाद कृषि विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों ने अपने-अपने इलाकों में लगातार छापेमारी करते हुए बीज, खाद और कीटनाशक औषधियों के सैंपल लेकर लैब से जांच करवाया था.
इसमें बीज के 71, रासायनिक खाद के 18 तथा दवाओं के 19 नमूने जांच में नाकाम साबित हुए थे.
इनके विक्रय पर प्रतिबंध लगाकर संबंधित फर्मों कृषि विभाग ने नोटिस जारी किया था.
पिछली सरकार में भी उठा था मुद्दा
कांग्रेस की सरकार के समय बीज निगम द्वारा ब्लैक लिस्टेड कंपनी को करोड़ों रुपए के भुगतान का मामला विधानसभा में उठा था.
विधानसभा के बजट सत्र में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष, धरमलाल कौशिक ने बीज निगम में ब्लैक लिस्टेड कंपनी से प्रतिबंध हटाने और भुगतान का मामला सदन में उठाया था.
जिसके बाद तत्कालीन कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने गलती मानते हुए कहा था कि “ब्लैक लिस्ट कंपनी को बकाया भुगतान करना अनुचित था. जानकारी मिलते ही कंपनी को डिबार कर दिया है.”
तब के विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा की कमेटी से मामले की जांच के निर्देश दिए थे.
इस मामले में छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम ने त्रिमूर्ति प्लांट साइंस फर्म को ब्लैक लिस्टेड किये जाने के बाद भी 2 करोड़ 61 लाख की बकाया राशि का भुगतान किया था.
इस मामले को लेकर सदन में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था.
इस तरह भी ठगे गए किसान
2021 में दुर्ग के धमधा ब्लाक में बीज उत्पादन के नाम पर किसानों के साथ ठगी का मामला सामने आया था, जिसमें राज्य सरकार ने जांच के निर्देश दिए थे.
इस मामले में कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग के अफसरों की टीम बनाई गई थी.
धमधा के 250 से ज्यादा किसानों ने अंतरराष्ट्रीय बीज उत्पादक कंपनी, बायर सीड प्रोडक्शन के खिलाफ शिकायत की थी.
किसानों के अनुसार कंपनी ने हाईब्रिड धान नर-नारी के बीज उत्पादन के लिए उनके साथ एग्रीमेंट किया था. इसके तहत करीब बारह सौ एकड़ में किसानों ने इस धान के बीज लगाए थे.
एग्रीमेंट के तहत बीज और खाद से लेकर पूरी व्यवस्था कंपनी को करनी थी.
फसल कटाई के लिए तैयार हो गई, लेकिन बालियों में दाने नहीं आए.
एक एकड़ में मुश्किल से दो से पांच क्विंटल धान निकला.
एग्रीमेंट के तहत नुकसान होने पर कंपनी द्वारा मुआवजा देने की शर्त शामिल थी, लेकिन कंपनी के अधिकारी नुकसान की भरपाई करने से पीछे हट गए थे.
अधिकारी पर लगा घटिया बीज वितरण का आरोप
2019 में धमतरी में कृषि विभाग के एक जूनियर अधिकारी ने अपने सीनियर अधिकारी पर घटिया बीज वितरण का आरोप लगाया था.
कर्मचारी ने मामले की शिकायत तत्कालीन कलेक्टर आर. प्रसन्ना से की थी.
धमतरी कृषि विभाग में पदस्थ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सुनील देवांगन ने उपसंचालक एलपी अहिरवार कर खिलाफ कलेक्टर से लिखित शिकायत की थी.
इस शिकायत में किसानों के साथ ठगी और घोटाले की बात कही गई थी.
सुनील देवांगन के मुताबिक रबी सीजन में जिले के सभी 4 ब्लॉक के किसानों को कुसुम की फसल प्रेरित किया गया और प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई.
किसानों को 40 रुपये प्रति किलो की दर से नगद बीज दिया गया, लेकिन ये बीज प्रमाणित न होकर साधारण बीज थे. इस मामले को लेकर जमकर हंगामा हुआ था.