राष्ट्र

भारत रत्न पर कयासो का दौर

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सरकार ने रिजर्व बैंक के टकसाल को 5 भारत रत्न बनाने का आर्डर देकर कयासों का बाजार गर्म कर दिया है. इस बात को तय माना जा रहा है कि यदि स्वतंत्रता दिवस के पूर्व संध्या को या उसके बाद देश के सबसे सर्वोच्य नागरिक सम्मान भारत रत्न की घोषणा की जाती है तो उसमें पूर्व प्रदानमंत्री अटल बिहारी का नाम सबसे ऊपर होगा. इसके अलावा संभावना है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भी मरनोपरान्त भारत रत्न के सम्मान से नवाजा जायेगा. इस सम्मान के लिए स्वयं प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति के पास सिफारिश भेजनी होती है.

खबरों के अनुसार मोदी सरकार ने 5 भारत रत्नों का आर्डर रिजर्व बैंक के टकसाल को दिया है. इसलिये कम से कम 4 लोगों को तो भारत रत्न से जरूर नवाजा जायेगा. गौर तलब है कि सचिन तेंदुलकर को भी रिजर्व में रखे गये भारत रत्न का पदक दिया गया था.

इससे कयास लगाये जा रहें हैं कि फिर से 1 भारत रत्न पदक को रिजर्व में रखकर 4 लोगों को इस सम्मान से नवाजा जायेगा. सूत्रों के मुताबिक अटल बिहारी बाजपेई तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अलावा कांशी राम तथा मदन मोहन मालवीय को यह सम्मान दिया जा सकता है.

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी नेताओं ने पूर्व में वाजपेयी को भारत रत्न दिए जाने की मांग की थी. सूत्रों ने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में घोषणा कर सकते हैं.

वहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजनों ने कोलकाता में कहा है कि उन्हें भारत रत्न देने से ज्यादा जरूरी है कि उनकी मृत्यु के बारे में अब तक चल रही अटकलों पर पहले विराम लगाया जाये. नेताजी के परिजनों का कहना है कि इसके लिये गोपनीय सरकारी फाइलों को सार्वजनिक किया जाना चाहिये.

अटल बिहारी बाजपेई
अटल बिहारी बाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था. वे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं. वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तथा फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे. वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे. अटल बिहारी बाजपेई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए. उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे. कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की. इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है. सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में 6-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते हैं.

नेताजी सुभाषचंद्र बोस
सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था. वे नेता जी के नाम से भी जाने जाते हैं, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था. उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है. “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” का नारा भी उनका उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया.

मदन मोहन मालवीय
महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 तथा मृत्यु 1946 को हुआ था. वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे. वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया. पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो देश का मस्तक गौरव से ऊँचा कर सकें. मालवीयजी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे. इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे. वे अपने व्यवहार में सदैव मृदुभाषी रहे.

कांशीराम
कांशी राम का जन्म 15 मार्च सन 1934 को पंजाब के रोपड़ ज़िले में हुआ था. वर्ष 1978 में कांशी राम ने ‘बामसेफ’ का गठन किया. बामसेफ के माध्यम से सरकारी नौकरी करने वाले दलित शोषित समाज के लोगों से एक निश्चित धनराशि लेकर समाज के हितों के लिए संघर्ष करते रहे. वर्ष 1981 में उन्होंने ‘दलित शोषित संघर्ष समाज समिति’ की स्थापना की. ‘डीएसफोर’ के माध्यम से उन्होंने दलितों को संगठित किया और 1984 में बहुजन समाज पार्टी का गठन किया. उन्होंने बाबा साहब के इस सिद्धांत को माना कि ‘सत्ता ही सभी चाबियों की चाबी है.’

बहरहाल यह 15 अगस्त के आस-पास ही तय होगा कि मोदी सरकार किनकों-किनकों भारत रत्न की उपाधि से नवाजती है तब तक कयासों का दौर यूं ही जारी रहेगा.

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