‘भारत माता की जय’ निजी विचार: नायडू
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: वेंकैया नायडू ने कहा ‘भारत माता की जय’ बोलने सरकार ने परिपत्र नहीं जारी किये हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि इसे बोलने को लेकर जो विभिन्न विचार रखें जा रहें हैं वे सरकार द्वारा अधिकृत नहीं हैं. हाल ही में ‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर तीखी बयानबाजी सामने आई हैं जिनमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का नाम भी आया है. सत्तरूढ़ भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वंय सेव संघ के नेताओं ने भी ‘भारत माता की जय’ बोलने के पक्ष में बयान दिये हैं. इससे यह संदेश जा रहा है कि इस मुहिम को केन्द्र सरकार का समर्थन प्राप्त है. हालांकि वेंकैया नायडू ने यह भी जोड़ दिया कि शहीदे आजम भगत सिंह ने भी फांसी के तख्त पर ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाया था.
बलपूर्वक सभी भारतीयों से ‘भारत माता की जय’ बोलवाने को लेकर जो बवाल खड़ा हुआ है उससे अल्पसंख्यक समुदाय के मन में असुरक्षा की भावना जागृत हुई है. इसके खिलाफ अल्पसंख्यकों के कुछ नेता विपरीय बयान दे रहें हैं. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस नारे से ही भारतीयता की पहचान होगी.
इस परिस्थिति में केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू का स्पष्टीकरण सरकारी पक्ष को जनता के सामने रखने के दिया गया माना जा रहा है.
केंद्रीय संसदीय कार्य एवं शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि ‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर विभिन्न लोगों द्वारा प्रकट किए जा रहे विचार सरकार द्वारा अधिकृत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह खुद भी इन सबसे सहमत नहीं हैं. इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, योग गुरु रामदेव और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता भैयाजी जोशी के बयानों के बारे में किए गए सवाल पर नायडू ने कहा कि वह ‘उनसे सहमत नहीं हैं.’
केंद्रीय मंत्री ने पलटकर सवाल किया, “क्या सरकार ने कोई परिपत्र जारी किया है?”
जोशी ने कहा था कि जो अपनी भूमि को अपनी मां मानते हैं, उन्हें ‘भारत माता की जय’ बोलना चाहिए.
फडणवीस ने कहा था कि ‘भारत माता की जय’ न बोलने वालों को भारत छोड़ कर चले जाना चाहिए.
रामदेव ने कहा था कि अगर कानून से उनके हाथ नहीं बंधे होते, तो वे ‘भारत माता की जय’ का नारा नहीं लगाने वालों के सिर काट देते.
नायडू ने जोर देकर कहा कि नारे लगाने को सकारात्मक रूप में लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भगत सिंह ने फांसी के तख्ते पर ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाया था.
हालांकि, उन्होंने साफ किया कि यह अनिवार्य नहीं है और यह सरकार का विचार नहीं है कि सभी को यह नारा लगाना ही चाहिए.
नायडू ने ‘इंडियन वूमेन प्रेस कॉर्प्स’ में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “लोकतंत्र में लोग कई बातें कहेंगे. अंत में सरकार का फैसला ही सब पर लागू होता है.”
उन्होंने कहा, “इस तरह के विचार सरकार द्वारा अधिकृत नहीं हैं.”
खासतौर पर फडणवीस की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, “क्या मुख्यमंत्री ने इसके लिए कोई कानून पारित किया है?”
‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर बहस छिड़ गई है और विभिन्न ओर से इसके पक्ष और विपक्ष में टिप्पणियां आ रही हैं.
विपक्षी दलों ने इन टिप्पणियों को लेकर भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की आलोचना की है.
प्रभावशाली इस्लामी मदरसे ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने हाल ही में एक फतवा जारी किया था कि मुसलमानों के लिए ‘भारत माता की जय’ बोलना उचित नहीं है. अब केन्द्रीय मंत्री नायडू के स्पष्टीकरण से अल्पसंख्यकों के मन का डर कितना दूर होता है यह देखना है. क्या इसके बाद भी ‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर शुरु हुआ विवाद थम जायेगा इसे देखना है.
वैंकेया नायडू के बाद नजमा हेपतुल्ला भी इस बहस में कूद पड़ी है. उन्होंने इस विवाद को अनावश्क करारा दिया. देश में ‘भारत माता की जय’ बोलने को लेकर जारी विवाद को ‘अनावश्यक व अनुचित’ करार देते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि मातृभूमि की स्तुति करने में कोई बुराई नहीं है और धर्म से इसका कोई लेना-देना नहीं है.
मंत्री ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा कि आपका ‘वतन’ चाहे कोई भी हो, आपको उसके प्रति वफादार होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस मामले में कुछ राजनीति हुई है, पर बतौर एक मुस्लिम उन्हें ‘भारत माता की जय’ बोलने में कोई परेशानी नहीं है.
उन्होंने कहा, “ऐसा कहकर मैं अपने धर्म के खिलाफ कुछ नहीं कर रही हूं. मेरा ईमान इतना कमजोर नहीं है. वास्तव में इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. यहां तक कि पैगंबर मोहम्मद ने भी इसका समर्थन किया.”
मंत्री ने कहा, “मैं हर मुसलमान से यह पूछना चाहती हूं कि मौत के बाद वे कहां जाएंगे? यह उनकी मातृभूमि होगी, जो उन्हें अपनी गोद में समा लेगी.”