क्या कहते हैं भगत सिंह के भांजे
लुधियाना | संवाददाता: भगत सिंह के भांजे जगमोहन सिंह अपने तरीके से शहीद भगत सिंह को याद करते हैं. एक बातचीत में उन्होंने कहा कि यदि आज भगत सिंह को याद करना है, तो उनकी आखिरी तीन बातों को जेहन में रखना जरूरी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘हमें सेहत का ख्याल रखना है, हिम्मत से रहना है और मेहनत से पढ़ना है.’ यह बातें आज की जरूरत है, क्योंकि नयी पीढ़ी में सेहत, हिम्मत और हौसला का अभाव दिखता है.
लुधियाना में रहने वाले प्रोफेसर जगमोहन सिंह अब खुद बुजुर्ग हो गये हैं. प्रभात खबर से बातचीत में उनका कहना है कि भगत सिंह का काम क्रांति का बीज बोना था. यही कारण है कि जब भी भारत में किसी प्रकार का संकट आता है, तो भगत सिंह एक आशा की तरह लोगों के बीच खड़े होते हैं. जब भी हम निराशा में गये हैं, भगत सिंह के नाम के साथ एक रोशनी की किरण दिखायी देती है. भगत सिंह एक आशा के दीप हैं.
जगमोहन सिंह का कहना है कि भगत सिंह की विचारधारा में उत्तेजना नहीं था. वह किसी भी तरह के हिंसा के खिलाफ थे.उन्होंने नौजवान सभा में लिखा था कि जोश को कायम रख कर विवेक के साथ कोई काम करना चाहिए. चूंकि भगत सिंह भी युवा थे. वह सारे काम 18 साल के उम्र तक किये हैं. इसीलिए उन्हें खासकर युवाओं के विषय में पता था कि युवाओं के मन में इस उम्र में किस तरह के भाव पैदा होते हैं.
भगत सिंह के भांजे जगमोहन सिंह का कहना है कि भगत सिंह हमेशा जोश के साथ विवेक की बात करते रहे. उत्तेजना में आकर किसी काम को करने के वह खिलाफ रहे हैं. भगत सिंह के विचारों से आज सभी को सीख लेने की जरूरत है. वह ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की बात करते थे. उन्होंने कहा, मैं इतना पढ़ूं कि मेरे विचार दलील पर आधारित हों. और मेरे सामने जो दलील रखे जायें उसका जवाब मैं अपने पढ़े हुए ज्ञान के आधार पर दलील के साथ दे पाऊं.’ वह नयी तकनीक के साथ ही दूसरे देशों में होनेवाले हलचलों से वाकिफ थे.
जगमोहन सिंह का कहना है कि भगत सिंह को उस जमाने में हवाई जहाज चलाना आता था. नये तकनीकों का ज्ञान था. यह सब उन्होंने आंदोलन के साथ ही किया. सभी काम को वह साथ करने में विश्वास करते थे. उन्हें पता था कि जोश के साथ ही विवेक के बल पर ही उस अंगरेजी साम्राज्य का मुकाबला किया जा सकता है. इसलिए उन्होंने विवेक के साथ काम करने पर हमेशा जोड़ दिया. जज्बाती न होते हुए विवेकपूर्ण तर्क के साथ दलील देने में वह विश्वास रखते थे.
प्रोफेसर जगमोहन सिंह का कहना है कि भगत सिंह के सारे विचार सिर्फ दो पंक्तियों में समाहित थे. उनका दो ही नारा था. दो ही विचार थे. ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और ‘ब्रिटिश साम्राज्य मुर्दाबाद.’दो फरवरी 1931 को वह नेताजी के पास बंगाल गये और वहीं पर उनको पुलिस ने पकड़ा भी.
भगत सिंह को याद करते हुये जगमोहन सिंह का कहना है कि आज लोग इसलिए परेशान है कि भगत सिंह ने जो संकल्प और जो विचार दिये हैं वह फलीभूत नहीं हो रहा है. आज के नौजवान अपना हिम्मत और हौसला बढ़ा सके. मेहनत के साथ अपने काम के प्रति यकीन पैदा कर सके, तो यही भगत सिंह को सच्ची श्रद्घांजलि होगी.