मंदिर पर BJP-CONGRESS साथ-साथ
रायपुर | बीबीसी: राष्ट्रीय राजनीति में मंदिर पर अलग राय रखने वाली भाजपा-कांग्रेस छत्तीसगढ़ में एक साथ है. बात अयोध्या के राम मंदिर की नहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक मंदिर की है. जिसे बचाने के लिये सत्तारूढञ भाजपा तथा विपक्षी कांग्रेस एकजुट नज़र आ रही है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष भऊपेश बघेल का मत है कि मंदिर को बचाया जाना चाहिये वहीं भाजपा प्रवक्ता तथा रायपुर के विधायक श्रीचंद सुंदरानी का कहना है हम मंदिर बचाने वाले लोग हैं.
दरअसल मामला स्थानीय है जिस पर कांग्रेस तथा भाजपा के मत एक समान है. राष्ट्रीय राजनीति की बात दिगर है वहां हाई कमान की बात सुनी जाती है. यहां तक कि कांग्रेस की खेमेबाजी भी इसमें आड़े नहीं आ रही है.
छत्तीसगढ़ में एक मंदिर और व्यावसायिक कॉम्पलेक्स को तोड़ने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का राजधानी रायपुर में विरोध हो रहा है. मंदिर को बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस साथ दिख रहे हैं. रायपुर में ये व्यावसायिक परिसर विधानसभा अध्यक्ष और उनके परिजन ने बनवाया है.
कोर्ट के आदेश के खिलाफ लगभग हर दिन प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रार्थनाओं के दौर चल रहे हैं. रैलियां निकली जा रही हैं और हस्ताक्षर अभियान चलाए जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी मुहिम चलाई जा रही है.
विश्व हिंदू परिषद, शिव सेना और बजरंग दल के साथ कई सामाजिक संगठन इस अभियान में शामिल हैं. वहीं भाजपा का अल्पसंख्यक मोर्चा इस मंदिर को बचाने के लिये हस्ताक्षर अभियान चला रहा है. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने पूरे मामले में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इंकार किया है.
असल में सुप्रीम कोर्ट ने इसी महीने की 10 तारीख को एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुये छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल और उनके परिजनों द्वारा कथित तौर पर सरकारी जमीन पर कब्जा करके 2012 में बनाये गए मंदिर और व्यावसायिक कॉम्पलेक्स को तोड़ने का आदेश दिया है. इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और मुख्यमंत्री रमन सिंह भी शामिल हुए थे.
विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने एक ट्रस्ट बना कर 404 हेक्टेयर सरकारी ज़मीन पर क़ब्ज़ा करके उस पर कई निर्माण किए थे. यह मामला सामने आने के बाद रायपुर के कलेक्टर के निर्देश पर तहसीलदार ने जांच की और 2014 में सरकार को रिपोर्ट दी. इसके बाद कलेक्टर ने पूरी संपत्ति को ज़ब्त करने के निर्देश दिए थे.
लेकिन जब इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो ‘हमर संगवारी’ नाम की संस्था ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की.
‘हमर संगवारी’ के संयोजक राकेश चौबे के अनुसार,” सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में देश के सभी राज्यों को सार्वजनिक स्थलों और सड़कों पर बनाए गए पूजा स्थलों को हटाने संबंधी मामले में हलफ़नामा देने के निर्देश दिए थे. लेकिन जब छत्तीसगढ़ सरकार ने गौरीशंकर अग्रवाल के निर्माण पर कार्रवाई नहीं की तो हमने अवमानना याचिका दायर की.”
कुछ दूसरी याचिकाओं समेत इस अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर अवैध निर्माण तोड़ने का आदेश जारी किया है. लेकिन इस आदेश के बाद से कई धार्मिक और सामाजिक संगठन इस निर्णय के खिलाफ़ सड़कों पर आ गए हैं. भारतीय जनता पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा इस आदेश का विरोध कर रहा है. वहीं कांग्रेस पार्टी भी मंदिर को तोड़े जाने के पक्ष में नहीं है.
हालांकि कांग्रेस पार्टी ने सरकारी ज़मीन पर कब्जे के मामले में विधानसभा में अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की भी कोशिश की थी. यहां तक कि 10 मई को जब सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा किए गये मंदिर निर्माण को तोड़ने का आदेश दिया, उस दिन कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ न केवल प्रदर्शन किया था बल्कि उनसे इस्तीफा भी मांगा था. लेकिन अब कांग्रेस के सुर बदले हुए हैं.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल ने कहा, “हम मंदिर को तोड़े जाने के पक्ष में नहीं हैं. मंदिर को बचाया जाना चाहिए.”
ज़ाहिर है, छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार तो मंदिर के पक्ष में है ही. रायपुर के विधायक और छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी का कहना था, “हम मंदिर तोड़ने नहीं, मंदिर बनाने वाले लोग हैं.”