राष्ट्र

अगस्ता दोषियों की खैर नहीं- पर्रिकर

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: रक्षा मंत्री पर्रिकर ने ने संसद में कहा अगस्ता के दोषियों की खैर नहीं. उन्होंने कहा अगस्ता के दोषियों को कटघरे में खड़ा किया जायेगा. सदन में जोर देकर रक्षा मंत्री ने कहा अगस्ता का हाल बोफोर्स जैसा नहीं होने देंगे. अगस्तावेस्टलैंड सौदे को लेकर पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार ने अगस्तावेस्टलैंड को हेलीकाप्टर का ठेका देने के लिए हर तरह की रियायत दी और पूर्व वायु सेना प्रमुख एसपी त्यागी, गौतम खेतान तो ‘बहती गंगा’ में हाथ धोने वाले छोटे नाम है, हम बड़े नामों का पता लगा रहे हैं, जिन्होंने रिश्वत ली.

अगस्ता वेस्टलैंड रिश्वतखोरी मामले में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने संसद में शुक्रवार को कहा कि इस मामले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सत्तापक्ष पर पलटवार करते हुए सड़क पर उतरीं. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने लोकसभा में जोर देते हुए कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड मामले का हाल बोफोर्स मामले जैसा नहीं होगा और केंद्रीय जांच ब्यूरो दोषी लोगों को कानून के कठघरे में खड़ा करने में सक्षम है.

पर्रिकर ने कहा, “मैं आप सबको आश्वस्त कर सकता हूं कि हम नाकाम नहीं होंगे. हम जो बोफोर्स कांड में नहीं कर सके, वह अगस्ता वेस्टलैंड मामले में करेंगे.”

नियम 197 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर भारतीय जनता पार्टी के सांसदों अनुराग ठाकुर व निशिकांत दूबे, सौगत रॉय (तृणमूल कांग्रेस) व ज्योतिरादित्य सिंधिया (कांग्रेस) द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में पर्रिकर की यह प्रतिक्रिया सामने आई.

स्वीडन की बोफोर्स एबी कंपनी पर 155 मिलीमीटर की होवित्जर तोपों का ठेका पाने के लिए रिश्वत देने का आरोप लगा. इस विवाद के कारण सन् 1989 में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार को लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था.

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा राहुल गांधी संसद के बाहर सड़क पर उतरे और नरेंद्र मोदी सरकार को चेताया कि कांग्रेस कोई ‘कमजोर’ पार्टी नहीं है.

लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मामले की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग की. मांग नहीं माने जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, खड़गे व अन्य कांग्रेस सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए.

जंतर-मंतर पर हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने सरकार पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्देश पर चलने का आरोप लगाया.

समर्थकों द्वारा सोनिया गांधी जिंदाबाद के नारों के बीच उन्होंने कहा, “मैं सरकार को चेताना चाहती हूं कि वह कांग्रेस को एक कमजोर पार्टी समझने की भूल न करे.”

उन्होंने अपने संक्षिप्त भाषण में कहा, “यहां से एक कड़ा संदेश जाना चाहिए और इसे केवल रायसीना हिल्स ही नहीं, बल्कि नागपुर में उन लोगों तक पहुंचना चाहिए, जिनके निर्देश पर मोदी सरकार काम करती है.”

उधर, सदन में कांग्रेस सरकार पर हमला करते हुए पर्रिकर ने एंटनी के प्रति सद्भाव जताते हुए उन्हें ‘बेचारा’ करार दिया.

पर्रिकर ने कहा, “बेचारे एंटनी साहब के हाथ बंधे थे.” उन्होंने कहा कि इस मामले में इटली में साल 2012 में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई थी.

रक्षा मंत्री ने कहा, “..क्योंकि एंटनी अपनी छवि बचाए रखना चाहते थे. इसलिए दो से तीन घंटे के भीतर उन्होंने फाइल को आगे बढ़वाया, दस्तावेजों को मंजूरी दी और सीबीआई जांच का आदेश दे दिया.”

रक्षा मंत्री ने कहा, “हेलीकॉप्टर के फील्ड ट्रायल का एंटनी ने विरोध किया था, लेकिन बाद में उन्हें अपना रुख बदलने के लिए समझा लिया गया.”

रक्षा मंत्री ने हालांकि कहा कि सीबीआई ने जनवरी 2014 तक मामले में कुछ नहीं किया.

वहीं, कांग्रेस पार्टी के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को ‘सिंहनी’ करार दिया और कहा कि अगस्ता मामले में उनका नाम किसी भी प्रामाणिक दस्तावेज में नहीं आया है.

लोकसभा में सिंधिया ने भाजपा नेताओं द्वारा अपने भाषणों में इशारों में सोनिया गांधी पर निशाना साधने के लिए भाजपा पर हमला किया.

सिंधिया ने सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, “सोनिया गांधी एक सिंहनी हैं, जिनसे उन्हें डर लगता है.”

अगस्ता वेस्टलैंड के भारत स्थित कार्यालय में इटली के एक अधिकारी पीटर हुलेट के एक पत्र का संदर्भ देते हुए सिंधिया ने कहा, “हुलेट ने लिखा है कि सोनिया गांधी तथा उनके सलाहकार ऐसे लोग हैं, जिनका उच्चायुक्त को सम्मान करना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “बिना हस्ताक्षर वाले अप्रमाणिक कागज के टुकड़ों के अलावा, गांधी का नाम किसी भी प्रामाणिक दस्तावेज में कहीं नहीं है.”

लोकसभा में शुक्रवार का दिन बेहद हंगामेदार रहा, जहां अगस्ता वेस्टलैंड मामले को लेकर सत्ता तथा विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा.

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