क्या वाजपेयी की मौत पहले ही हो गई थी?
नई दिल्ली | डेस्क: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की तारीख को लेकर शिव सेना ने सवाल उठाये हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा करते हुये कहा है कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त को ही हुआ था या उस दिन उनके निधन की घोषणा की गई जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वतंत्रता दिवस भाषण बाधित न हो.
शिव सेना के सांसद और पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत ने ‘स्वराज्य क्या है ?’ शीर्षक से लिखे एक लेख में कहा है कि-हमारे लोगों के बजाए हमारे शासकों को पहले यह समझना चाहिए कि ‘स्वराज्य’ क्या है. वाजपेयी का निधन 16 अगस्त को हुआ, लेकिन 12-13 अगस्त से ही उनकी हालत बिगड़ रही थी. स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय शोक और ध्वज को आधा झुकाने से बचने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लाल किले से अपना विस्तृत संबोधन देना था, वाजपेयी ने इस दुनिया को 16 अगस्त को छोड़ा (या जब उनके निधन की घोषणा की गई).
संजय राउत ने लेख में कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला द्वारा भारत माता की जय और जय हिंद का नारा लगाने पर उनके साथ की गई बदसलूकी को लेकर भी चिंता जताई है. राउत ने लिखा कि-जब यह पता चलता है कि पुलिस ने आतंकवादियों को पकड़ा है जो दिल्ली पर हमले की साजिश रच रहे थे, तो यह बताता है कि स्वतंत्रता दिवस नजदीक आ रहा है.
सामना के इस लेख में कहा गया है कि- यह परंपरा इस साल भी जारी रही. स्वतंत्रता दिवस समारोह पर हमले को अंजाम देने की साजिश रच रहे 10 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया. भारी मात्रा में हथियार जब्त किए गए. इसलिए (इसके बाद) प्रधानमंत्री ने निर्भय होकर स्वतंत्रता दिवस मनाया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुये राउत ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में गरीबों के लिये कई घोषणाएं कीं. उनके भाषण की शैली ऐसी थी कि पूर्ववर्ती सरकारों ने कुछ नहीं किया, इसलिये अब तक की स्वतंत्रता निरर्थक थी.
राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे और विज्ञापनों पर होने वाले खर्च को भी निशाने पर लिया है. राऊत ने अपने लेख में कहा है कि प्रधानमंत्री जहां कह रहे हैं कि रिश्वत लेने वालों पर कार्रवाई की जा रही है, वहीं घूसखोरी कम नहीं हुई है. यह सच है कि कल्याण योजनाएं टैक्स के पैसे से चलती हैं जो ईमानदार लोग चुकाते हैं. यह भी सच है कि प्रधानमंत्री का विदेश दौरा भी उसी रकम से संपन्न होता है और विज्ञापनों पर खर्च होने वाले हजारों करोड़ रूपये भी इसी के जरिये हासिल होते हैं. यह नया तरीका है जिसके तहत ‘स्वराज्य’ काम कर रहा है.