आसाराम के साथ कैसे फंसी रायपुर की संचिता
रायपुर | संवाददाता: आसाराम के साथ जिस शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता को दोषी करार दिया गया है, वह शिल्पी छत्तीसगढ़ के रायपुर की रहने वाली है. रायपुर की रहने वाली शिल्पी का पूरा परिवार आसाराम के प्रति समर्पित था और उनका भक्त था. संचिता के पिता महेंद्र गुप्ता रायपुर के ही निवासी रहे हैं.
गौरतलब है कि आसाराम के मामले में जोधपुर कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाया है. इस मामले में आसाराम के साथ दो और लोगी को दोषी करार दिया गया है. इस मामले में कुल पांच लोग आरोपी थें, जिनमें दो लोगों को बरी कर दिया गया है. आसाराम रेप केस में फैसला सुनाने के लिए कोर्ट जेल में ही लगा और वहीं फैसला सुनाया गया. जिन दो लोगों को दोषी करार दिया गया, उनमें एक संचिता गुप्ता ऊर्फ शिल्पी भी है.
रायपुर की रहने वाली शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता के माता-पिता आसाराम के आश्रम में अक्सर जाते थे और शिल्पी भी अपने उनके साथ आसाराम के आश्रम में जाती थी. संचिता उर्फ शिल्पी भी बचपन से आसाराम की भक्त थी. पढ़ने-लिखने में तेज शिल्पी ने रायपुर से साइकोलॉजी से एमए किया है.
आसाराम से बेहद प्रभावित रही शिल्पी ने 2005 में अहमदाबाद आश्रम में आसाराम से दीक्षा ली. शिल्पी के मुताबिक 2011 में उसे अहमदाबाद आश्रम में ऐसा लगा कि उस पर किसी शक्ति का असर हो गया है.
2012 से शिल्पी अहमदाबाद आश्रम में रहने लगी. यहीं पर उसे संचिता से नया नाम मिला ‘शिल्पी’. शिल्पी ने अपने माता-पिता को भी कह दिया कि वह शादी नहीं करेगी और अब वापस सांसारिक दुनिया में नहीं आएगी.
आसाराम ने शिल्पी ऊर्फ संचिता गुप्ता की काबिलियत को देखते हुए उसे छात्रावास का वार्डन बना दिया. शिल्पी की योग्यता देखते हुए आसाराम ने उसे अपना करीबी बना लिया.
जब आसाराम के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज हुआ तो शिल्पी की भी तलाश शुरु हुई. बाद में सितंर 2013 में शिल्पी ने आत्मसमर्पण कर दिया. समर्पण से पहले शिल्पी छिंदवाड़ा स्थित आसाराम के आश्रम की वार्डन थी.