हसदेव में नया खदान विनाशकारी-अरविंद नेताम
रायपुर | संवाददाता: आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने हसदेव में नये खदान का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि अगर हसदेव में नये खदान को शुरु करने की कार्रवाई हुई तो प्रदेश के आदिवासी चुप नहीं बैठेंगे. उन्होंने कहा कि अगर आदिवासियों को बुलडोज ही करना है तो सरकार कर दे.
शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में अरविंद नेताम ने कहा कि प्रदेश में आदिवासी अधिकारों को दरकिनार कर खनन कंपनियों के इशारे पर सरकारें कार्य कर रही है.
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षो से अधिक समय से हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत आन्दोलन कर रहे हैं लेकिन उन्हें न्याय नही दिया जा रहा है.
अरविंद नेताम ने सवाल उठाया कि सरकार की आखिर ऐसी कौन सी मज़बूरी है कि सब कुछ जानते हुए भी जल-जंगल-जमीन के विनाश का आदेश देरही है ?
पूर्व केंद्रीय मंत्री और सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम ने कहा कि एक तरफ विधानसभा में प्रस्ताव होता है कि हसदेव के कोल ब्लॉक निरस्त किये जाएं, दूसरी और जंगल कटाई के आदेश जारी हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सभी अध्ययन में ये कहा गया है कि हसदेव में खनन से साल के प्राकृतिक जंगल, जैव विविधता का विनाश होगा, हसदेव नदी और बांगो बांध का अस्तित्व संकट में आ जायेगा. फिर भी वहीं से कोयला निकालना ये कौन सी जिद है.
अरविंद नेताम ने कहा कि नदी, पहाड़, जंगल सब कुछ तबाह करके हम कौन सा विकास करना चाहते हैं? आज जलवायु परिवर्तन का संकट भयानक रूप से दुनिया के सामने है, जो अब धरती पर जीवन के बचे रहने का संकट बनते जा रहा है.
अरविंद नेताम ने कहा कि इस स्थिति से बचने के लिए हमारे सामने एक ही रास्ता है- प्रकृति के साथ सामंजस्य का. उन्होंने कहा कि हसदेव साल का प्राकृतिक जंगल है, जिसे कभी भी प्लांटेशन के माध्यम से तैयार नही किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि यह जंगल छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि पूरे मध्यभारत का फेफड़ा है, जो हमें ऑक्सीजन देता है. यही जंगल देश के मानसून के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिनके विनाश से देश में गंभीर संकट पैदा होगा.
अरविंद नेताम ने कहा कि ये संवैधानिक व्यवस्था है कि पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण ग्रामसभा की सहमति के बिना नही होगा. यही बात भारत सरकार ने यूनाइटेड नेशन में भी कही है. फिर परसा कोल ब्लॉक में साल्ही, हरिहरपुर, फतेहपुर की जमीन बिना ग्रामसभा सहमति के कैसे अधिग्रहित की जा रही है.
उन्होंने कहा कि तत्कालीन राज्यपाल ने वर्ष 2021 में मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि ग्रामसभा के फर्जी प्रस्ताव की जाँच की जाये. आज तक न तो निष्पक्ष जांच हुई और न ही खनन गतिविधि को आगे बढ़ाने की कार्यवाही रोकी गई.
उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री से इस संबंध में विस्तृत चर्चा हुई है. अरविंद नेताम ने उम्मीद जताई कि आदिवासी मुख्यमंत्री संवेदनशीलता के साथ इस मुद्दे पर विचार करेंगे और हसदेव सहित प्रदेश के आदिवासियों के साथ न्याय करेंगे.