राष्ट्र

ठीक कहा अरविंद ने

कनक तिवारी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आखिर उकताकर अपनी मंत्रिपरिषद का इस्तीफा दे ही दिया. केजरीवाल ने ठीक कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों मुकेश अंबानी के इशारे पर सहयोगी दलों की तरह राजनीति कर रहे हैं.

कांग्रेस और भाजपा की मुख्य आपत्ति बहुत तकनीकी है. उनका यही कहना था कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के कारण दिल्ली विधानसभा ऐसा कोई विधेयक प्रस्तुत नहीं कर सकती जिसमें वित्तीय व्यय संधारित किया जाए. संविधान के अनुसार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं है. इसलिए विधानसभा को कई विषयों पर विधायन का अधिकार नहीं है.

केजरीवाल की दलील यह रही है कि गृह मंत्रालय का आदेश संवैधानिक नहीं है. अतएव उसे मानने की ज़रूरत नहीं है. आदेश केन्द्रीय गृह मंत्रालय की कार्यपालिक शक्तियों के तहत दिया गया है. वह दिल्ली विधानसभा की विधायी शक्तियों को नियंत्रित या सीमित नहीं कर सकता.

इसी तरह यह भी कहा गया कि केन्द्र के लोकपाल बिल को दिल्ली में भी लागू करना होगा और दिल्ली के लिए आम आदमी पार्टी द्वारा प्रस्तावित जनलोकपाल बिल की आवश्यकता नहीं है. यह तर्क भी बेमानी है. यदि केन्द्र के लोकपाल अधिनियम से अलग हटकर जनलोकपाल बिल में कुछ पूरक प्रावधान जोड़ दिए जाएं तो उसकी वैधता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते. यदि दिल्ली का जनलोकपाल विधेयक केन्द्र के लोकपाल कानून से असंगत हो तो वह अपने आप प्रभावहीन हो जाएगा.

संविधान साफ कहता है कि यदि किन्हीं परिस्थितियों में दिल्ली विधानसभा ऐसा कोई विधायन पारित करती है जो असंवैधानिक हो तो उसे राष्ट्रपति की मंजूरी के अभाव में लागू नहीं किया जाएगा.

ऐसे में यदि केजरीवाल ने जनलोकपाल विधेयक को लाने की कथित गलत पेशकश की थी तब भी उस पर विधानसभा में विचारण तो हो सकता था. भले ही राष्ट्रपति उस पर मंजूरी नहीं देते. अन्यथा भी कांग्रेस और भाजपा मिलकर उस विधेयक को गिरा सकते थे. उनका डर यही था कि ऐसा करने से वे जनता के सामने बेनकाब हो जाएंगे.

गृह मंत्रालय के विवादित आदेश को न्यायालय में चुनौती देने का कांग्रेस और भाजपा का सुझाव हास्यास्पद था. दिल्ली विधानसभा के पास उस आदेश को अस्वीकार करने का संवैधानिक विकल्प उपलब्ध था. पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने भी ऐसी ही राय दी थी.

मुकेश अंबानी के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश देना दिल्ली सरकार को भारी पड़ गया. उसे अंदाज नहीं रहा होगा कि कांग्रेस और भाजपा मुकेश अंबानी से इस तरह खौफज़दा हैं. पता नहीं बात बात में दहाड़ने वाले नरेन्द्र मोदी और राजनीतिक शुचिता का दावा करने वाले राहुल गांधी मुकेश अंबानी के मामले में चुप क्यों हो गए हैं.
* उसने कहा है-14

error: Content is protected !!