रेप ने 42 साल तड़पाया
मुंबई | समाचार डेस्क: शायद अरुणा शानबाग रेप से सबसे ज्यादा समय तक पीड़ित रही है. उल्लेखनीय है कि अस्पताल के एक कर्मी के द्वारा रेप करने के बाद गला घोंटने की कोशिश के बाद नर्स अरुणा शानबाग करीब 42 साल तक कोमा में तड़पती रही. इस बीच सर्वोच्य न्यायालय ने अरुणा को इच्छा मृत्यु देने की याचिका भी खारिज कर दी थी. मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में ज्यादती के बाद अस्पताल के बिस्तर पर लगभग 42 वर्षो से जिंदगी के लिए जंग लड़ रही नर्स अरुणा शानबाग अंतत: सोमवार को यह लड़ाई हार गईं. उनके निधन की खबर से पूरा अस्पताल शोक में डूब गया. शाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया. वह दुनिया में सर्वाधिक समय 42 साल तक कोमा में रहीं.
अधिकारियों ने कहा कि अरुणा का अंतिम संस्कार दक्षिणी मुंबई के भोईवाड़ा श्मशान गृह में सोमवार शाम कर दिया गया.
उल्लेखनीय है कि केईएम अस्पताल में जूनियर नर्स के पद पर कार्यरत रहीं अरुणा 27 नवंबर, 1973 को ड्यूटी पर आई थीं. वहीं काम करने वाले एक संविदा सफाईकर्मी सोहनलाल बी. वाल्मीकि ने अरुणा को अकेले पाकर बदनीयत से उन पर हमला कर दिया. उन्हें जंजीरों से बांधकर उनके साथ दुष्कर्म किया.
यही नहीं, उसने जंजीर से उनका गला घोंटने की कोशिश भी की, जिससे उनके मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक गई. नतीजतन, अरुणा की ब्रेन स्टेम चोटिल हो गई. उनकी सर्विकल कॉर्ड में भी गंभीर चोटें आई थीं. वह उसी दिन से कोमा में थीं.
उस वक्त उनकी उम्र बमुश्किल से 25 साल थीं. अरुणा उसी अस्पताल के एक चिकित्सक से शादी करने वाली थीं.
कोमा में जाने के बाद अरुणा के परिवार ने उन्हें अकेला छोड़ दिया था. वह इतने वर्षो से अस्पताल के वार्ड नं. 4ए के एक बिस्तर पर पड़ी हुई थीं, जहां नर्से पूरे समर्पण के साथ उनकी देखभाल कर रही थीं.
पुलिस ने बाद में आरोपी पर लूटपाट और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया. उसे गिरफ्तार किया गया. बाद में उसे दोनों आरोपों का दोषी पाया गया और सात साल कारावास की सजा सुनाई गई. वह बाद में रिहा हो गया. माना जाता है कि तभी से वह दिल्ली में रह रहा है.
अरुणा करीब एक सप्ताह से निमोनिया एवं अन्य दिक्कतों से जूझ रही थीं. सांस लेने में दिक्कत होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. उन पर उपचार का असर दिख रहा था.
60-65 वर्ष की अरुणा मूलरूप से कनार्टक के उत्तरी कनारा स्थित हल्दीपुर की रहने वाली थीं. उन्होंने सोमवार सुबह लगभग 8.30 बजे अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर से पूरा अस्पताल विशेषकर नर्सिग स्टाफ शोक में डूब गया.
अरुणा के पूर्व शिक्षक अनंत गायतोंडे, अरुणा को केईएम नर्सिग कॉलेज की नर्सिग की एक बहुत बुद्धिमान छात्रा के रूप में याद करते हैं.
उन्होंने रुंधे गले से कहा, “वह बहुत होनहार छात्रा थी. उसका व्यवहार हमेशा बहुत मिलनसार था..अपराधी को मामूली-सी सजा मिली, लेकिन उसे अपनी पूरी जिंदगी सजा भुगतनी पड़ी.”
दिसंबर 2010 में सेलिब्रिटी लेखिका-पत्रकार पिंकी विरानी ने अरुणा की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उनके लिए इच्छामृत्यु की मांग की थी.
मार्च 2011 में शीर्ष अदालत ने विरानी की याचिका खारिज कर दी थी.
अरुणा की शवयात्रा के दौरान हजारों की संख्या में नर्सो ने ‘अरुणा अमर रहे’ व ‘अरुणा की जय हो’ के नारे लगाए.
इससे पहले दोपहर को अरुणा के अंतिम संस्कार के दावे को लेकर शानबाग के दो संबंधियों तथा अस्पताल की नर्सो के बीच हलका विवाद उत्पन्न हो गया था.
मामले को हालांकि अस्पताल प्रशासन ने तत्काल सुलझा लिया और शव के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी लेते हुए इसे नर्सो तथा शानबाग के परिजनों की उपस्थिति में करने का फैसला किया.