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खाद्य महंगाई चिंता का विषय: जेटली

नई दिल्ली | एजेंसी: अरुण जेटली ने एनडीए के 100 पूरे होने के अवसर पर कहा कि खाद्य महंगाई चिंता का एक विषय है. गौरतलब है कि सब्जियों के बढ़ते दाम की वजह से महंगाई कम नहीं हो रही है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि यद्यपि अर्थव्यवस्था में हाल में सुधार के संकेत दिखे हैं, लेकिन महंगाई एक बड़ी चिंता बनी हुई है, क्योंकि सब्जियों और खाद्य वस्तुओं की कीमतें मौसमी कारणों व मानसून से प्रभावित हो रही हैं.

जेटली ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के 100 दिन पूरा होने के अवसर पर यहां कहा, “खाद्य महंगाई चिंता का एक विषय है. सामान्य तौर पर जब कुछ फलों व सब्जियों की कीमतें बढ़ती हैं तो स्वाभाविक तौर पर कुछ महंगाई होगी. विकास दर के साथ महंगाई बढ़ती है.”

जेटली ने कहा, “इस मौसम में सरकार ने महंगाई रोकने के लिए कुछ विशेष कदम उठाए हैं, जिसके परिणाम दिख रहे हैं. लेकिन महंगाई आम आदमी की आमदनी से अधिक तेजी से नहीं बढ़नी चाहिए. यदि ऐसा होता है तो यह बड़ी चिंता का विषय बनता है.”

जेटली ने कहा कि देश में पर्याप्त खाद्य भंडार मौजूद है, लिहाजा कमजोर मानसून को लेकर बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है.

जेटली ने कहा, “खराब मानसूस से कुछ हद तक खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित होगा लेकिन चूंकि देश में पर्याप्त खाद्यान्न भंडार मौजूद है, इसलिए यह चिंता का विषय नहीं है.”

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक सीपीआई और थोक मूल्य सूचकांक डब्ल्यूपीआई में सुधार के कारण नीतिगत दरों में कटौती की उनकी अपेक्षा के बारे में पूछने पर जेटली ने कहा, “यदि यह मुझ पर निर्भर हो तो मैं जल्द ही नीतिगत दरों में बदलाव चाहूंगा.”

जेटली ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दरों और महंगाई के अर्थव्यवस्था पर असर के मुद्दे पर विचार कर रहा है.

मौजूदा वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही में उच्च राजकोषीय घाटा दिखाने वाले हाल आंकड़े पर वित्त मंत्री ने कहा कि यह आंकड़ा हमारा प्रतिनिधित्व नहीं है, क्योंकि पूर्व की तिमाहियों के कारकों से यह प्रभावित है.

उन्होंने कहा, “प्रथम तिमाही का घाटा प्रतिनिधि नहीं है, क्योंकि यह पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही की राजकोषीय जरूरतों से प्रभावित है.”

जेटली ने कहा कि घाटे को जीडीपी के 4.1 प्रतिशत पर लाने का मौजूदा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

वित्त मंत्री ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच अवरुद्ध बातचीत किसी व्यापक सहमति की दिशा में बढ़ेगी.

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