BCCI के नये अध्यक्ष
सत्ता से करीबी और उन्नत सोच है अनुराग ठाकुर की सबसे बड़ी ताकत है. बीते साल नम्बर में जब दक्षिण अफ्रीकी टीम एकदिवसीय और टी-20 मैचों की सीरीज के लिए भारत में आई थी, तब इस सीरीज का टी-20 अभ्यास मैच फिरोजशाह कोटला मैदान में खेला जाना था लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण अंतिम समय में यह मैच पालम स्थित सर्विसेज के मैदान पर शिफ्ट कर दिया गया था.
यह मैदान भारतीय वायुसेना की देखरेख में है और सर्विसेज की रणजी टीम अपने घरेलू मैच यहीं खेलती है. सर्विसेज ने आनन-फानन में इस मैच की तैयारी की और एक अच्छे वातावरण में मैच शुरू हुआ. उसी दिन अनुराग ठाकुर को वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम में हिस्सा लेने के लिए जेनेवा जाना था. फ्लाइट का टाइम हो गया था लेकिन अनुराग समय कम होने के बावजूद पालम मैदान पहुंचे और वहां की व्यवस्था का हाल लिया.
मीडिया से बातचीत के दौरान अनुराग ने कम समय में अच्छी व्यवस्था के लिए सर्विसेज की तारीफ की और साथ ही इस बात का भी खुलासा किया कि पांच नवम्बर होने वाली विशेष आम बैठक में शशांक मनोहर को बीसीसीआई का नया अध्यक्ष चुना जाएगा. अनुराग का यह दौरा मीडिया के लिए काफी लाभकारी साबित हुआ क्योंकि उसे एक बड़ी खबर मिल गई थी. अनुराग की खासियत यही रही है कि वह सही वक्त पर सही बात करते हैं.
अनुराग की पहचान एक मुखर वक्ता और एक सुलझे हुए राजनेता के तौर पर होती है. उन्हें यह गुण अपने पिता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से मिली है. ठाकुर का बीसीसीआई के शीर्ष पर पहुंचना बहुतों को अचम्भित करता हो लेकिन यह असम्भावी था. ठाकुर ने हमेशा से यही सपना देखा था. यही कारण है कि साल 2000 में वह अपने राज्य के लिए एकमात्र रणजी मैच में खेले. यह इसलिए ताकि वह जूनियर राष्ट्रीय चयनकर्ता बन सकें.
ठाकुर 26 साल की उम्र में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने. एक खिलाड़ी के तौर पर ज्यूरी भले ही उनकी प्रतिभा पर शक करती हो लेकिन एक प्रशासक के तौर पर वह हमेशा अव्वल रहे. यही कारण है कि अनुराग ने क्रिकेट के लिहाज से पिछड़े राज्य हिमाचल को मुख्य मंच पर स्थापित किया और इसे विश्व का सबसे सुंदर क्रिकेट स्टेडियम दिया. यही नहीं, शिमला में क्रिकेट अकादमी और बिलासपुर तथा उना में क्रिकेट स्टेडियम बनाकर अनुराग ने खुद को औरों की तुलना में काफी आगे लाकर खड़ा कर दिया.
जिन लोगों ने सालों से अनुराग के सफर को देखा है, वे हैरान नहीं हैं. सालों से उनके करीबी रहे एचपीसीए के मीडिया मैनेजर मोहित सूद कहते हैं कि अनुराग के पास उम्र का सहारा है और अनुभव का खजाना है. साथ ही साथ उनके पास आधुनिक सोच है. अगर आप हिमाचल में उनके विकास कार्यो को देखेंगे तो पता चलेगा कि उन्होंने क्रिकेट के लिए क्या चमत्कार किाय है. वह जानते हैं कि राज्य की जरूरतें क्या हैं और प्रशासक होने के नाते वह इन चीजों को राज्य में सीधे लेकर आते हैं.
साल 2011 में अनुराग बीसीसीआई के संयुक्त सचिव बने थे. एन. श्रीनिवासन उस समय अध्यक्ष थे. साल 2013 के आईपीएल सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग मामले में अनुराग ने जब देखा कि श्रीनिवासन अपने चहेतों को बचाने में लगे हैं तो उन्हें विरोध का स्वर मुखर कर दिया. भूलने वाली बात नहीं है कि वह सिर्फ संयुक्त सचिव थे और ऐसे पदों पर बैठे लोग आमतौर पर शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करते लेकिन अनुराग ने ऐसा किया और अपने समकक्षों और यहां तक की कई सीनियरों से दाद पाई.
अनुराग अच्छी तरह जानते हैं कि सत्ता और शक्तिशाली लोगों के करीब रहकर ही वह आगे जा सकते हैं. यह क्रिकेट और व्यक्तिगत चयन के लिए अनुराग के लिए हमेशा से सही फैसला सहा है. अनुराग सरकार में हमेशा शक्तिशाली लोगों के करीब रहे और बीसीसीआई में सही लोगों के करीब रहे. वह जानते थे कि बीसीसीआई में शक्ति संतुलन बिगाड़कर ही वह शीर्ष पद हासिल कर सकते थे.
शशांक मनोहर भले ही भारतीय क्रिकेट में सुधार के जनक के तौर पर जाने जाते हों लेकिन अनुराग के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने उन सुधारों को लागू करने के लिए काम किया और अपने आलोचकों तक की सराहना बटोरी. कई लोग कहा करते थे कि राजनेता होने के नाते वह क्रिकेट को समय नहीं दे पाएंगे लेकिन आज वही लोग शीर्ष पद पर अनुराग का स्वागत करते हुए इसे एक नए अध्याय के तौर पर देख रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि अनुराग के सामने चुनौतियां नहीं हैं. ये चुनौतियां उस समय शुरू होंगी, जब सर्वोच्च न्यायालय लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने का आदेश जारी करेगा. बीते दिनों मनोहर ने कहा था कि लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों से बीसीसीआई का ताना-बाना खराब होगा और वह यह दिन नहीं देखना चाहते थे.
अनुराग की चुनौती इन सिफारिशों को लागू करते हुए न सिर्फ बीसीसीआई को सम्भालना होगा बल्कि राज्य क्रिकेट संघों के साथ भी तालमेल बनाए रखना होगा. सचिव रहते हुए उन्होंने इन बाधाओं को महसूस किया होगा और इसी कारण इन्हें लांघने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए.
तमाम बाधाओं के पास अनुराग के कैम्प को इस बात का यकीन होगा कि सत्ता से करीबी, राज्य क्रिकेट संघों से अच्छे सम्बंध और उन्नत समझ तथा मीडिया से अपने अच्छे सम्बंधों के कारण अनुराग तमाम बाधों को पार करने में सफल होंगे. अनुराग के लिए अभी वक्त हर चीज को बृहत तौर पर देखना और उसे नए नजरिए के साथ समझना और उसका समाधान निकालने का है.