छत्तीसगढ़ में मिला एक और नया गढ़
रायपुर. संवाददाता। छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग ने जांजगीर-चांपा जिले में एक और नया गढ़ खोज निकाला है. यह मृत्तिकागढ़ यानी मिट्टी का गढ़ जांजगीर से 40 किलोमीटर दूर बम्हनीडीह विकासखंड के गांव लखुरी में मिला है.
छत्तीसगढ़ के गढ़ों की सूची में इसका नाम नहीं है, लेकिन मिट्टी के परकोटे और खाई यहां आज भी विद्यमान हैं.
स्थल पर ब्लैक ऑन रेड वेयर के टुकड़े भी मिले हैं, जिसके कारण अनुमान लगाया जा रहा है कि यह कलचुरी काल से भी पुराना हो सकता है.
छत्तीसगढ़ में अब तक मिले गढ़ों के प्रमाण के आधार पर इसे 2500-2800 वर्ष पुराना गढ़ माना जा रहा है. अभी इसके ऊपरी हिस्से का ही निरीक्षण किया गया है. माना जा रहा है कि इसकी खुदाई से कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है.
छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार राज्य में कुल 36 गढ़ माने जाते हैं. इसी के आधार पर छत्तीसगढ़ का नामकरण भी हुआ है. हालांकि इतिहास के कई जानकार इनकी संख्या 48 भी बताते हैं.
इन ऐतिहासिक दस्तावेजों के अलावा भी पुरातत्व विभाग की खुदाई में कई और नए गढ़ मिले हैं.
मल्हार, तरीघाट, रीवां, डमरू जैसे स्थल भी गढ़ की नई सूची में शामिल हैं. इस सूची में अब एक और नया नाम लखुरी का भी जुड़ गया है.
इससे छत्तीसगढ़ में गढ़ों की सूची समृद्ध होती जा रही है.
संचालक ने दिए निरीक्षण के निर्देश
लखुरी गांव के तालाब से पुरानी मूर्तियां मिलने की लगातार खबरें आ रही थीं. इस पर संज्ञान लेते हुए पुरातत्व विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने अधिकारियों को निरीक्षण के लिए मौके पर जाने के निर्देश दिए.
उप संचालक डा. पीसी पारख और पुरातत्वविद् प्रभात कुमार सिंह ने शनिवार को लखुरी गांव और पचरिहा तालाब की निरीक्षण किया.
उन्होंने पाया कि तालाब पहले कुंड हुआ करता था. तालाब के उत्तर और पूर्व के मेड में लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित सीढ़ियां आज भी दिखाई दे रही हैं.
डा. पारख ने बताया कि कुंड के बीचों-बीच पाषाण छल्लों से निर्मित लगभग 25 फुट ऊंचा स्तंभ (लाट), तालाब के निकट बरगद पेड़ के नीचे प्राचीन मंदिर के स्थापत्य खंड, जैसे-वितान, स्तंभ, आमलक के अवशेष बिखरे पड़े हैं.
पास में नवनिर्मित कालेश्वरी मंदिर के प्रवेश के बाईं ओर उमा-महेश्वर, योद्धा, शिव तांडव और अन्य खंडित मूर्तियां रखी हुई हैं. अधिकांश में लोगों ने ऑयल पेंट लगा दिया है, जिससे उनका मौलिक स्वरूप लुप्त हो गया है.
इसके बगल में एक शिव मंदिर है, जिसके गर्भगृह में प्राचीन शिवलिंग और नंदी सहित दीवार के आलों में लक्ष्मी नारायण की युगल मूर्ति, सूर्य तथा विष्णु और लक्ष्मी की स्वतंत्र मूर्तियां भी रखी हैं. ये मूर्तियां कलचुरिकालीन हैं.
तालाब की सफाई में मिली गणेश और योद्धा की लघु प्रतिमाओं को ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से पंचनामा की कार्यवाही कर रायपुर संग्रहालय में सुरक्षित रखने हेतु पुरातत्व विभाग को सौंप दिया है.
गढ़ के कुछ हिस्सों पर है कब्जा
मौके पर गए अधिकारियों को ग्रामीणों ने जानकारी दी कि गांव में एक गढ़पारा है, जहां मिट्टी के पुराने बर्तनों के ठीकरे मिलते हैं.
लेकिन वहां जाने के बाद इस मृत्तिकागढ़ का पता चला.
मृत्तिकागढ के कुछ हिस्सों पर कब्जा हो गया है. अधिकारियों ने माना कि इस स्थल को अतिक्रमण से सुरक्षित किया जाना आवश्यक है.
निरीक्षण के दौरान स्थानीय राजस्व निरीक्षक और पटवारी भी मौजूद थे.