राष्ट्र

मान गई अंजलि दमानिया

नई दिल्ली | संवाददाता: नागपुर से चुनाव हारी अंजलि दमानिया ‘आप’ में ही रहेंगी. देर शाम खबर आई कि अंजलि दमानिया तथा प्रीति मेनन ने गुरुवार को पार्टी से दिये अपने इस्तीफे को वापस ले लिया है. लोकसभा चुनाव में दिल्ली विधानसभा चुनाव के समान सफलता न मिलने से आम आदमी पार्टी का अंदुरुनी कलह सतह पर आ गया है.

गौरतलब है कि इससे पहले गजियाबाद से लोकसभा का चुनाव हारी शाजिया इल्मी ने भी अपना पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. खासकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिये पार्टी के बड़े चेहरों के द्वारा इस्तीफा देना पार्टी के अस्तित्व से जुड़ा हुआ सवाल बन गया है.

संसदीय गणतंत्र में चुनाव में हार-जीत तो लगी ही रहती है परन्तु जिस तरह से आम आदमी पार्टी में कलह मचा है उससे यह बात निकल कर सामने आती है कि गैर-सरकारी संगठन चलाना और बात है तथा राजनीतिक दांव-पेंच में माहिर होना अलग बात है. गौरतलब है कि अंजनि दमानिया पहले सामाजिक कार्यकर्ता थी जो जन-लोकपाल आंदोलन के समय अरविंद केजरीवाल से जुड़ गई थी. जब अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के नाम से अलग राजनीतिक दल बनाया जब अंजलि दमानिया उसके महाराष्ट्र इकाई की संयोजक बनाई गई.

ज्ञात रहे कि अंजलि दमानिया ने 16वीं लोकसभा के लिये हुए चुनाव में नागपुर से भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. गौरतलब है कि आम चुनाव में ‘आप’ ने महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. अंजलि, मयंक, मेधा पाटकर तथा विजय पंढारे सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए.

गुरुवार को इस्तीफा देते हुए अंजनि दमानिया ने ‘आप’ पदाधिकारियों को लिखे अपने इस्तीफे में कहा था, “मैं भारी मन से आप से अलग हो रही हूं. अरविंद केजरीवाल के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है. वह मेरे बड़े भाई की तरह हैं. मैं सभी से बस यही अनुरोध करना चाहती हूं कि मेरे पार्टी छोड़ने के फैसले में किसी तरह की साजिश को न देखें.”

गुरुवार की देर शाम मयंक गांधी ने अंजनि के साथ बैठक करके बताया कि पार्टी की प्रदेश सचिव मेनन बैठक में मौजूद नहीं थी लेकिन बैठक के नतीजे के बारे में उन्हें अवगत करा दिया गया और वह अपना इस्तीफा वापस लेने को तैयार हो गई हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘एक नई प्रदेश कार्यकारिणी बनाई जाएगी जिसमें किसानों, दलितों, महिलाओं, युवाओं और अल्पसंख्यक समुदाय की ज्यादा भागीदारी होगी.’’ मयंक ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर संवाद की कमी और ‘आप’ की कमेटी सदस्यों के खिलाफ शिकायतों की वजह से अंजलि ने इस्तीफा दिया था.

बहरहाल, अंजलि दमानिया के इस्तीफे को वापस लेने से आम आदमी पार्टी का संकट फौरी तौर पर टल गया है लेकिन इससे यह बात उभर कर आई है कि पार्टी के भीतर असंतोष व्याप्त है तथा लोकसभा चुनाव में हार के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ है.

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