पति के साथ गईं अंजलि जैन
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित अंजलि-इब्राहिम प्रेम विवाह मामले में अंजलि जैन को सखी सेंटर से रिहा कर दिया गया है. बुधवार को रिहाई के बाद वे अपने पति इब्राहिम के साथ रहने के लिये चली गईं.
इस मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट ने अंजलि जैन को उनकी मर्जी की जगह और मर्जी के व्यक्ति के साथ रहने का आदेश दिया था. अदालत ने अंजलि को सखी सेंटर से रिहा किये जाने से 24 घंटे पूर्व उनके पिता अशोक जैन और पति आर्यन आर्य ऊर्फ मोहम्मद इब्राहिम सिद्धिकी को सुचित करने का निर्देश दिया था.
बुधवार को सूचना के बाद भी उनके पिता अशोक जैन सखी सेंटर में नहीं पहुंचे. अशोक जैन को ज़िला प्रशासन ने पहले फोन से सूचित करने का प्रयास किया था. इसके बाद उनके धमतरी स्थित निवास पर नोटिस चस्पा किया गया. इसके बाद अख़बारों में विज्ञापन भी प्रकाशित किया गया. हालांकि अशोक जैन को अदालत के इस फ़ैसले की खबर थी. उन्होंने 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक शपथ में इस फ़ैसले को भी शामिल किया था.
इधर सखी सेंटर से रिहा होने के बाद अंजलि जैन ने कहा कि उनकी जान को खतरा हो सकता है. उन्होंने अपने पिता से अपील की कि जो हुआ, सो हुआ. अब वे उन्हें स्वीकार कर आशीर्वाद दें.
प्रेम विवाह का चर्चित मामला
धमतरी ज़िले के रहने वाले 33 वर्षीय मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीक़ी और 23 वर्षीय अंजलि जैन ने दो साल की जान-पहचान के बाद 25 फ़रवरी 2018 को रायपुर के आर्य मंदिर में शादी की थी. इससे पहले इब्राहिम ने अपना धर्म भी बदल लिया था और अपना नाम आर्यन आर्य रखा था.
लेकिन अंजलि के घर वालों को जब इसकी खबर मिली तो उन्होंने अपनी बेटी को बहुत समझाने-बुझाने की कोशिश की. घरवालों का कहना था कि इब्राहिम पहले से ही एक शादी कर चुका है. इब्राहिम का सामाजिक रुप से तलाक भी हुआ है. उन्होंने बेटी को इब्राहिम से दूर रखने की कोशिश की.
इस दौरान अंजलि को इब्राहिम से मिलने नहीं दिया गया. इसके बाद इब्राहिम ऊर्फ आर्यन आर्य ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए न्यायालय से अपनी पत्नी अंजलि जैन को वापस किए जाने की गुहार लगाई.
लेकिन अदालत ने अंजलि जैन को सोच-विचार के लिए समय देते हुये छात्रावास में या माता-पिता के साथ रहने का आदेश पारित करते हुए मामले को ख़ारिज कर दिया. अंजलि जैन ने माता-पिता के साथ रहने के बजाय छात्रावास में रहना तय किया था. इसके बाद इब्राहिम ने हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
पिछले साल अगस्त में अंजलि को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया, जहां अंजलि ने अपने माता-पिता के साथ रहने की इच्छा जताई. इसके कुछ ही दिन बाद अंजलि ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को फोन कर के बताया कि उन्हें पिता के घर में कैद कर के रखा गया है.
जिसके बाद पुलिस ने उन्हें पिता के घर से छुड़ा कर रायपुर के सखी सेंटर में रखा था. अदालती कार्रवाइयों के बीच अंजलि पिछले आठ महीने से रायपुर के सखी सेंटर में ही रह रही थीं.
उन्हें पहले रविवार को सखी सेंटर से रिहा किया जाना था. लेकिन बुधवार को जा कर यह प्रक्रिया पूरी हुई.