वेदांता को 4000 आंगनबाड़ी बनाना था, बनी 222
रायपुर | संवाददाता: 2015 में मोदी सरकार और वेदांता ने छत्तीसगढ़ में 3 साल में जिन 400 आंगनबाड़ी केंद्र भवनों के निर्माण का करार किया था, उनमें से एक भी आंगनबाड़ी केंद्र भवन 6 साल बाद भी नहीं बन पाए.
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने संसद में यह जानकारी दी है.
स्मृति इरानी के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और अनिल अग्रवाल की वेदांता के बीच, अधिक भार वाले ज़िलों में उनके कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व यानी सीएसआर के तहत देश भर में 4000 आंगनबाड़ी केंद्र भवनों के निर्माण के लिए एक एमओयू किया गया था.
यह एमओयू तीन साल के लिए प्रभावी था.
इस एमओयू के अनुसार देश के 11 राज्यों आंध्र प्रदेश (300 आंगनबाड़ी), असम (300), बिहार (400), छत्तीसगढ़ (400), झारखंड (400), मध्यप्रदेश (200), महाराष्ट्र (300), ओडिशा (400), राजस्थान (500), तेलंगाना (300) और उत्तर प्रदेश (500) आंगनबाड़ी केंद्र भवन का निर्माण वेदांता को अपने खर्च से करना था.
21 सितंबर 2018 को एमओयू की सीमा खत्म हो गई और वेदांता ने इन आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण नहीं किया.
इसके बाद मोदी सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस एमओयू को 3 साल के लिए और बढ़ाया ताकि आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण हो सके.
लेकिन एमओयू की तारीख 20 सितंबर 2021 खत्म होने के बाद भी वेदांता ने 2585 आंगनबाड़ी केंद्रो का उन्नयन तो किया लेकिन वेदांता ने एमओयू में निर्धारित 4000 आंगनबाड़ी केंद्रों में से केवल 222 आंगनबाड़ी केंद्रों का ही निर्माण किया.
इन आंगनबाड़ियों में 149 आंगनबाड़ी भवन राजस्थान में बनाए गये हैं.
इसके अलावा उत्तरप्रदेश में 54, मध्यप्रदेश में 5, कर्नाटक में 5 और ओडिशा में 9 आंगनबाड़ी केंद्र भवन ही इन 6 सालों में बन पाए.
वेदांता को 3 साल के भीतर जिन राज्यों में आंगनबाड़ी केंद्र भवन बनाना था, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, असम, गुजरात और गोवा में एक भी आंगनबाड़ी केंद्र भवन का निर्माण वेदांता 6 साल में भी नहीं कर सकी.