छत्तीसगढ़बिलासपुर

आनंद मिश्रा आप पार्टी में

बिलासपुर | संवाददाता: समाजवादी नेता आनंद मिश्रा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गये हैं. पिछले कई दिनों से उनकी आम आदमी पार्टी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी. छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी के लिये इसे एक बडी उपलब्धि की तरह देखा जा रहा है.

गौरतलब है कि आनंद मिश्रा पिछले कई दशकों से समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे हैं. वे आपातकाल के दौरान 19 महीनों तक जेल में भी रहे हैं. इसके अलावा मध्य भारत में किसान आंदोलन में भी वे लगातार सक्रिय रहे हैं. आप पार्टी में शामिल होने से पहले वे जनता दल युनाईटेड के प्रदेश अध्यक्ष पद पर थे. माना जा रहा है कि आनंद मिश्रा बिलासपुर से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं.

उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि छत्तीसगढ़ में किसान हाशिये पर हैं और सरकार ने राज्य के किसानों को आत्महत्या के रास्ते पर धकेल दिया है. नेशनल क्राइम रिसर्च ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार राज्य में हर दिन औसतन तीन किसान आत्महत्या करते रहे हैं. सरकार की हरेक नीति किसानों को आत्महत्या के रास्ते पर ले कर जा रही है.

प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में किसान 1800 से 2100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चना बेच रहे हैं लेकिन सरकार इन किसानों के बजाये छत्तीसगढ़ से बाहर की अपराधी कंपनियों और माफिया गिरोहों से दुगनी से भी अधिक क़ीमत पर चना खरीद रही है. सरकार 4400 रुपये से लेकर 4800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बाहर से चना खरीद रही है, जबकि छत्तीसगढ़िया किसान सरकार को आधी क़ीमत पर चना देने को तैयार है. सरकार द्वारा चना खरीदी का यह मामला बड़ी साजिश से जुड़ा हुआ है और इसकी जांच ज़रुरी है.

आनंद मिश्रा ने मांग की कि राज्य में सभी फसलों खास तौर पर धान, गेहूं, चना को समर्थन मूल्य में पूरे साल खरीदी की जाये. किसान अपने धान को बेचने के लिये धान खरीदी केंद्र में लंबी कतारें लगा कर बैठे रहते हैं. छोटे किसान जितने दिनों तक धान खरीदी केंद्र में बैठ कर अपने धान की खरीदी का इंतजार करते हैं, उतने दिनों तक उनका पूरा काम-धाम बंद रहता है और उनकी रोजी-रोटी प्रभावित होती है. उन्होंने मांग की कि ऐसे किसानों को रोजगार गारंटी योजना के तहत भुगतान किया जाये.

आनंद मिश्रा ने कहा कि तीवरा की फसल उपजाने पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध हटा दिया है. यह छत्तीसगढ़ की दूसरी सबसे बड़ी फसल है. इसके समर्थन मूल्य की अविलंब घोषणा की जाये और उसकी खरीदी शुरु की जाये.

उन्होंने कहा कि राज्य में उच्चताप बिजली के टॉवरों के द्वारा बड़े पैमाने पर उपजाउ और गोचर ज़मीनों का बलात अधिग्रहण किया जा रहा है. इन टावरों को गैरकानूनी तरीके से बिना पर्यावरण प्रभाव आंकलन रिपोर्ट के लगाया जा रहा है, जिसके विकिरण के कारण बड़ी संख्या में पशु-पक्षी और मानव प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रभाव आंकलन रिपोर्ट के बाद ही कोई टावर लगाया जाये.

श्री मिश्रा ने कहा कि बिजली के एक बड़े टॉवर में किसान की लगभग 10 डिसमील ज़मीन जाती है और टावर लगने के बाद वह पूरी ज़मीन किसान के लिये अनुपयोगी हो जाती है. उन्होंने कहा कि ऐसे टावर प्रभावित किसानों को भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार प्रचलित मूल्य से चार गुणा अधिक अथवा राज्य पुनर्वास नीति के अनुसार मुआवजा दिया जाये. साथ ही किसान को बिजली टावर कंपनी की ओर से प्रति वर्ष होने वाले फसल के बराबर का कंपनी शेयर दिया जाये.

बिलासपुर की चर्चा करते हुये आनंद मिश्रा ने कहा कि बिलासपुर में बन रहा सीवरेज परियोजना का हाल हम सबके सामने है. पिछले कई सालों से शहर की जनता इससे त्रस्त है और कंपनियां लगातार दावे पर दावे किये जा रही हैं, पैसे कमाये जा रही हैं. सीवरेज निर्माण और इसकी क्षमता व उपयोगिता का किसी तृतीय पक्ष से परीक्षण अत्यतं आवश्यक है, अन्यथा शहर की जनता आने वाले कई सालों तक इसका दंश भोगती रहेगी.

error: Content is protected !!