अमिताभ बच्चन को जानते हैं आप?
नरेंद्र नाथ | फेसबुक: अमिताभ बच्चन सुपरस्टार हैं. लारजर दैन लाइफ जिया है सिने दुनिया में. रील दुनिया में जो किरदार निभाया, वह उन्हें अपने क्षेत्र में महान बनाती है. लेकिन रियल लाइफ में बतौर इंसान और सार्वजनिक जीवन में भी वह कभी नायक नहीं दिखे.
छद्म, स्वार्थ और मौकापरस्त दिखे. मुझे आज तक उनकी उस सिपैंथी बटोरने वाली कहानी का मतलब नहीं समझ में आया कि शुरू में वह गुमनाम थे,किस तरह पैसे-पैसे के लिए संघर्ष करते थे. रेलवे स्टेशन पर गरीबी में खाते थे. जहां तक मेरी जानकारी है,जब वह कुछ नहीं थे तब भी देश के उस परिवार के बेटे थे जो देश के पीएम और नेहरू जैसे कद के बेहद करीबी फेमिली फ्रेंड थे. सुपरस्टार कवि के बेटे थे. अमीर परिवार था. और अमिताभ की पिता से बनती भी थी, ऐसे में घर से तनाव वाली बात भी नहीं थी.
बाद में अमिताभ बच्चन ने जिनसे भी रिश्ते निभाए, उनसे सुख का साथी वाला रिश्ता ही निभाया. भाई अजिताभ से संबंध नहीं रखा. इंदिरा गांधी इस कदर अमिताभ को बेटे की तरह प्यार करती कि दौरा छोड़ बीमार अमिताभ को देखने आ गयी थी. राजीव गांधी ने परिवार माना. लेकिन जब गांधी परिवार के सितारे खराब हुए, अमिताभ उन्हें छोड़ चुके थे.
जिस दिन टीवी कैमरा अमिताभ के बंगले की नीलामी के लाइव की तैयारी कर रहा था और सारे दोस्त अमिताभ बच्चन को नमस्ते कर चुके थे, अमर सिंह ने चंद घंटों में न सिर्फ कर्जे से निकाला बल्कि नई जिंदगी की. लेकिन जब अमर कमजोर हुए अमिताभ उन्हें छोड़ चुके थे.
एक टीवी से जुड़े बड़े दिग्गज ने उन्हें बुरे दिन में सबसे बड़ा ब्रेक दिया लेकिन बाद में उनके साथ ही काम करने से मना कर दिया.
अब अमिताभ बच्चन को गुजरात और नरेन्द्र मोदी में भविष्य नजर आ रहा है. लेकिन यहां भी वह इस रिश्ते को किस तरह यूज कर रहे हैं उसकी बानगी देखये. टैक्स सिस्टम के ब्रांड अंबेसेडर बनते हैं. स्वच्छ भारत अभियान के भी. वही अमिताभ बच्चन जिनका नाम पनामा पेपर में साबित हो चुका है.
आरोप है कि उनका पूरा परिवार इस ब्लैक मनी के खेल में शामिल हैं. मामला कितना गंभीर है, इसका इसी बात से अंदाजा लग सकता है कि पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ का भी नाम इसमें शामिल था और उन्हें त्याग पत्र देना पड़ा.
अमिताभ बच्चन रिश्तों की कीमत समझते हैं और कीमत वसूलना भी. जब तक उन्हें कीमत मिलती रहेगी मोदी के गुडबुक बने रहेंगे. अभी अपनी इमेज बनाए रखने के लिए हर समर्थन देंगे. जब रिश्ता कीमत देना बंद कर देगा,वह नए ठिकाने की तलाश में निकल पड़ेंगे. कल जाकर अगर कहीं कोई दूसरे पावर का उदय होता है तो वे रेलवे की पटरी की तरह कब बदल उनके साथ हो जाएंगे,पता नहीं चलेगा.