‘शाह’ पर संघ की लगाम
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: संघ ने भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को सीमा में रहने का संदेश दे दिया है. गौरतलब है कि शुक्रवार को भाजपा के अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह, सरसंघसंचालक से मिलने के लिये नागपुर पहुंचे थे.
सूत्रों का कहना है कि संघ ने अमित शाह को बता दिया है कि दिल्ली में जोड़-तोड़कर सरकार बनाने की कोशिश में पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है. इसलिये संघ ने अमित शाह को साफ कर दिया है कि यदि दिल्ली में सरकार बनाना है तो चुनाव में जीतकर बहुमत से आवें.
इसमें कोई दो मत नहीं है कि संघ, अमित शाह के काबिलियत पर भरोसा करता है जिसे उन्होने लोकसभा चुनाव के समय जतला दिया था. भाजपा को उत्तर प्रदेश में 80 में से 71 सीट मिलने का असंभव कार्य अमित शाह के बूते पर ही हुआ है.
इसके बावजूद संघ, अमित शाह को खुली छूट देने के मूड में नहीं दिखता है. संघ ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को अपने बलबूते पर चुनाव लड़ना पड़ेगा.
सू्त्रों का कहना है कि संघ प्रमुख ने अमित शाह को स्पष्ट कर दिया है कि लोकसभा चुनाव के समय देश एक संकट से गुजर रहा था ऐसे में संघ के कार्यकर्ता देश में मजबूत सरकार के गठने के लिये भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार में शामिल हुए थे.
मोदी के प्रधावमंत्री बनने के बाद अमित शाह को जिस तरह से भाजपा का अध्यक्ष बनवाया गया था उससे ऐसा लग रहा था कि मोदी-अमित की जोड़ी संघ तथा पार्टी के लिये भविष्य की खेवनवार है परन्तु शुक्रवार को संघ प्रमुख के तेवर इशारा करते हैं कि संघ से ऊपर कोई नहीं है.
संघ का इतिहास गवाह है कि उसने जिन्ना मुद्दे को लेकर आडवाणी जैसे करिश्माई नेता तक को किनारे लगा दिया था. अन्यथा, भाजपा में अटल बिहारी के बाद लालकृषण आडवाणी को दूसरे नंबर पर माना जाता था. उसके बावजूद संघ ने आडवाणी को अध्यक्ष पद से हटाने में देर नहीं की थी.
अमित शाह को संघ प्रमुख का यह कहना कि दिल्ली में सरकार बनाने के लिये जुगाड़ की राजनीति से दूर रहे वास्तव में लक्ष्मण रेखा है जिसे संघ नहीं चाहता है कि अमित शाह उसे लांघने की भूल करें.
अमिक शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने से ऐसा लग रहा था कि अब पार्टी को शाह अपने तरीके से चलायेंगे. हालांकि, पार्टी चलाने के तौर-तरीकों पर संघ प्रमुख ने कुछ नहीं कहा परन्तु दिल्ली में सरकार बनाने के मुद्दे पर जिस तरह से राजनीतिक लाइन बता दी गई है उससे संकेत मिलता है कि भविष्य में भी बड़े फैसलों से पहले संघ की मुहर अमित शाह के लिये जरूरी रहेगी. इसे राजनीतिक हल्कों में अमित शाह पर संघ की लगाम के रूप में देखा जा रहा है.