विधानसभा चुनाव जीतना है
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: अमित शाह का लक्ष्य 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतना है. भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को पार्टी के जमीनी स्तर से शिखर तक के कार्यकर्ताओं को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए तैयार हो जाने को कहा ताकि पार्टी अपने दम पर सरकार बना सके. शाह लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित कर रहे थे.
जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की एक दिवसीय बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति का अनुमोदन किया गया.
बैठक में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी भारत को न केवल एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने में, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत को भी पुनस्र्थापित करने में भी मदद करेगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ‘नीतिगत लकवे’ को दूर करने के लिए मोदी सरकार की सराहना की.
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि आम चुनाव में भाजपा इसलिए आम लोगों का समर्थन हासिल करने में कामयाब रही क्योंकि इसने एक ऐसे नेता को पेश किया जो लोगों की विकास संबंधी भूख को शांत करने की क्षमता रखता है.
उन्होंने राज्यों में होने जा रहे चुनाव में भी यही कथा दोहराने की अपील कार्यकर्ताओं से की.
उन्होंने भाजपा के सभी आम-ओ-खास से झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी में जुट जाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि भाजपा अपने दम पर सरकार बना सके.
उन्होंने कहा, “बिहार में धुर विरोधी रहे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव गलबहियां कर चुके हैं. लेकिन वे नहीं जानते कि कोई भी पार्टी अपनी विचारधारा और अपने कार्यकर्ताओं में बसती है. हम बिहार में अपने दम पर सरकार बनाएंगे.”
उन्होंने कहा कि पूर्व में गंगा की सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला. इसका कारण यह था कि गंगा की सफाई को एक कार्यक्रम की तरह लिया गया न कि जनांदोलन के तौर पर.
शाह ने कहा, “हमें गरीबों का समर्थन मिला. हम गरीबों की पार्टी के रूप में बढ़ रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान गरीबों को लगा ‘भाजपा उनकी पार्टी है और चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बनने जा रहा है.’
उन्होंने कहा कि भाजपा में जमीनी स्तर पर काम करने की परंपरा रही है और इसमें नेतृत्व का फैसला पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर नहीं किया जाता.
शाह ने कहा, “हममें से कई ने अटलजी जैसा नेता नहीं देखा, जो पार्टी के सम्मेलनों में प्रतिनिधियों को भोजन परोसता हो. आडवाणी जी ने दशकों तक बिना किसी लाभ के पार्टी का दस्तावेज तैयार किया. कुशाभाउ ठाकरे से लेकर नितिन गडकरी तक सभी नेता कार्यकर्ता से शीर्ष पद पर पहुंचे.”
उन्होंने कहा, “मोदी का पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत करना और एक आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से होते हुए हमारे लोकतंत्र के शीर्ष स्थान पर पहुंचना, इसी परंपरा का उदाहरण है.”
शाह ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बूथ कमेटी के सामान्य कार्यकर्ता के रूप में की थी. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अध्यक्ष बनाना पार्टी के कार्यकर्ताओं का सम्मान है.