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राहुल गांधी का बयान आरक्षण और देश विरोधी-अमित शाह

नई दिल्ली | डेस्क: अमरीका में आरक्षण के मुद्दे पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बयान पर गृह मंत्री अमित शाह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

अमित शाह ने कहा है कि राहुल गांधी का यह बयान आरक्षण विरोधी और देश विरोधी है.

अमित शाह ने एक्स पर लिखा, “देश विरोधी बातें करना और देश को तोड़ने वाली ताक़तों के साथ खड़े होना राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की आदत सी बन गई है. चाहे जम्मू-कश्मीर में जेकेएनसी (जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ़्रेंस) के देश विरोधी और आरक्षण विरोधी एजेंडे का समर्थन करना हो, या फिर विदेशी मंचों पर भारत विरोधी बातें करनी हो, राहुल गांधी ने देश की सुरक्षा और भावना को हमेशा आहत किया है.”

उन्होंने लिखा, “भाषा से भाषा, क्षेत्र से क्षेत्र और धर्म से धर्म में भेदभाव लाने की बात करना राहुल गांधी की विभाजनकारी सोच को दर्शाता है. राहुल गांधी ने देश से आरक्षण को समाप्त करने की बात कह कर कांग्रेस का आरक्षण विरोधी चेहरा एक बार फिर से देश के सामने लाने का काम किया है.”

अमित शाह ने लिखा, “मन में पड़े विचार और सोच किसी न किसी माध्यम से बाहर आ ही जाते हैं. मैं राहुल गांधी को बताना चाहता हूँ कि जब तक भाजपा है, आरक्षण को कोई छू भी नहीं सकता और देश की एकता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता.”


गौरतलब है कि राहुल गांधी ने अमरीका के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों से बातचीत में कहा था कि अगर आप दलित, आदिवासी और ओबीसी को देखें तो वे 73 प्रतिशत हैं. जबकि 70 में मात्र एक आदिवासी, तीन दलित, तीन ओबीसी और एक अल्पसंख्यक हैं. भारत के 90 प्रतिशत लोगों को सरकार में मात्र 10 प्रतिशत जगह दी गई है.

उन्होंने कहा कि अगर आप वित्तीय आंकड़े देखें तो आदिवासियों को 100 रुपये में मात्र 10 पैसे, दलित को पांच रुपये और ओबीसी को भी इतने ही मिलते हैं. तो मुद्दे की बात यह है कि इन लोगों की सहभागिता नहीं हैं.

राहुल गांधी ने कहा कि समस्या यह है कि 90 प्रतिशत लोगों को हिस्सा ही नहीं मिल रहा है. भारत के बड़े व्यापारियों की सूची देखें तो शीर्ष 200 व्यापारियों में मात्र एक ओबीसी है, जबकि ये भारत की आबादी का पचास प्रतिशत हैं. हम सिस्टम को नहीं समझ रहे हैं, यही समस्या है.

राहुल गांधी ने कहा कि अब ये सिर्फ एकमात्र तरीका नहीं है, इसके अलावा भी दूसरे तरीके हैं. लेकिन जब भारत एक निष्पक्ष देश होगा तब हम आरक्षण को ख़त्म करने का सोचेंगे. और भारत निष्पक्ष देश नहीं है. इससे समस्या भी खड़ी होती है. क्योंकि सवर्ण जाति से आने वाले बहुत से लोग सवाल उठाते हैं कि हमने क्या गलत किया, हमें क्यों सज़ा दी जा रही है. इसीलिए आप इन सब चीज़ों की आपूर्ति को बढ़ाने के बारे में सोचते हैं. आप सत्ता के विकेंद्रीकरण के बारे में सोचते हैं. आप अपने देश की शासन प्रणाली में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को शामिल करने के बारे में सोचते हैं.

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