अमरीका में गालिब का प्रचार कर रहे सुरिंदर
वाशिंगटन | अरुण कुमार: भारत में जन्मे लेखक सुरिंदर देओल ने मशहूर उर्दू शायर मिर्जा गालिब की कृतियों का उत्तरी अमरीका में प्रचार-प्रसार करने के लिए उनका अंग्रेजी में अनुवाद किया है.
कवि और उपन्यासकार बनने से पहले देओल ने लगभग 25 साल तक विश्व बैंक में काम किया है. देओल कहते हैं, “उनका लक्ष्य उत्तरी अमरीकियों के बीच गालिब का प्रसार करना है जो रूमी और हाफिज जैसे कवियों को पढ़ने में दिलचस्पी रखते हैं.”
देओल ने कहा, “बहुत बड़ी संख्या में पाठक हैं. अगर मैं उनका ध्यान आकर्षित कर पाया, तो मेरा काम पूरा हो गया. मुझे लगता है कि मेरी किताब दक्षिण भारतीय पाठकों के लिए भी उपयोगी है.”
पेंगुइन-रेंडम हाउस इंप्रिंट पाट्रिज द्वारा प्रकाशित देओल की 378 पृष्ठों वाली ‘द ट्रेजर : ए मॉडर्न रेंडीशन ऑफ गालिब्स लिरिकल लव पोएट्री’ शीर्षक वाली किताब का लोकार्पण पिछले सप्ताह हुआ.
देओल ने कहा, सामान्य स्तर की उर्दू समझ पाने वाले लोगों के लिए गालिब को समझ पाना आसान नहीं है, लेकिन मेरी किताब इसे सबके लिए आसान बनाती है.
उन्होंने बताया, “अगर आप हाईस्कूल स्तर की अंग्रेजी समझ सकते हैं तो आप मेरी पूरी किताब पढ़ सकते हैं.”
देओल अपने प्रयासों के परिणाम से संतुष्ट हैं, लेकिन पाठकों की प्रतिक्रिया भी उनके लिए महत्वपूर्ण है.
गालिब की कृतियों के अनुवाद की प्रेरणा कहां से मिली? उन्होंने बताया, “मैं गालिब को पसंद करता हूं, इसलिए उनके काम का अंग्रेजी में अच्छा अनुवाद चाहता था, ताकि वह दुनिया के महान कवि का सम्मान पा सकें.”
“मैं कोलमैन बार्क्स द्वारा रूमी के मुक्त छंद प्रतिपादन से बहुत प्रभावित था. इसलिए गालिब के लिए भी मैंने ऐसा ही करने की सोची.”
उन्होंने बताया कि मुझे इस काम में दो साल का वक्त लगा.
‘द ट्रेजर’ भारत में ‘फ्लिपकार्ट’ और अंतर्राष्ट्रीय रूप से अमेजन डॉट कॉम पर उपलब्ध है.
गालिब के शेर
तुम न आए तो क्या सहर न हुई
हाँ मगर चैन से बसर न हुई
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई.