ऑल्ट के ज़ुबैर को हाईकोर्ट से राहत
बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ किसी भी तरह की कठोर कार्रवाई पर रोक लगा दी है. उनके ख़िलाफ़ एक ट्वीट को लेकर रायपुर में मामला दर्ज़ किया गया था.
न्यायमूर्ति संजय कुमार अग्रवाल की पीठ ने जुबैर द्वारा दायर याचिका पर छत्तीसगढ़ सरकार और शिकायतकर्ता जगदीश सिंह को नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया.
गौरतलब है कि बिलासपुर के आईजी दीपांशु काबरा की चीन से संबंधित एक वीडियो को लेकर फ़ैक्ट चेकिंग साइट ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक ने उसे भारत से बाहर का वीडियो बताया था. इसी ट्वीट पर रायपुर के कहने वाले जगदीश सिंह ने अश्लील टिप्पणी की थी.
इसके बाद ऑल्ट न्यूज़ मोहम्मद ज़ुबैर ने जगदीश सिंह की प्रोफाइल फोटो में, उनके साथ खड़ी बच्ची का चेहरा धुंधला करते हुये ट्वीट किया था-‘नमस्ते जगदीश सिंह. क्या आपकी प्यारी पोती सोशल मीडिया पर लोगों को गाली देने के आपके पार्ट टाइम जॉब के बारे में जानती है? मैं आपको अपनी प्रोफ़ाइल तस्वीर बदलने का सुझाव देता हूं.’
जगदीश सिंह ने इस ट्वीट को आपत्तिजनक मानते हुये राष्ट्रीय बाल संरक्षण परिषद में शिकायत की. एनसीपीसीआर की शिकायत के आधार पर रायपुर पुलिस ने मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ किया था. रायपुर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 509 बी (इलेक्ट्रॉनिक मोड द्वारा यौन उत्पीड़न) के तहत अपराध का आरोप लगाते हुए, धारा 12 (बच्चे पर यौन उत्पीड़न करने के लिए दंड) यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम और धारा 67 (प्रकाशन के लिए सजा) सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रसारित करने के आरोप में एफआईआर दर्ज़ की थी.
प्राथमिकी दर्ज़ होने के बाद जगदीश सिंह की ऐसी कई टिप्पणियां सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर गंदी गालियां और अश्लील टिप्पणियां की थीं.
This vile man Jagdish Singh works at @Sahyadriltd. The company must answer if they support their Area Sales Manager indulging in such horrible abuse of women on Twitter.
Pls tag the company & ask them to respond. I'll also be sending them & @NagpurPolice a written complaint. https://t.co/IvGcponj4v
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) September 7, 2020
Links to archive of the above tweets:https://t.co/geJGSHKDBBhttps://t.co/Ckr2peulsVhttps://t.co/qygRI6MhW8https://t.co/zc3dLA7NZW pic.twitter.com/eG0ZMPXxFp
— Pratik Sinha (@free_thinker) September 6, 2020
इस प्राथमिकी को चुनौती देते हुए जुबैर ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. ज़ुबैर के वकील किशोर नारायण ने तर्क दिया कि एफआईआर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और यह ट्वीट कल्पना के किसी भी खंड द्वारा कथित अपराधों को आकर्षित नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि ज़ुबैर के ट्वीट किसी भी स्थिति में पोस्को या आईटी अधिनियम का उल्लंघन नहीं है. पिछले महीने, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनसीपीसीआर शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में जुबैर को इसी तरह की राहत दी थी.