सीसैट पर सर्वदलीय बैठक होगी
नई दिल्ली | एजेंसी: सरकार ने बुधवार को संकेत दिया कि संघ लोकसेवा आयोग की प्रशासनिक सेवा परीक्षा के प्रारूप में इस वर्ष कोई बदलाव संभव नहीं है. इसलिए इस बार पुराने प्रारूप से ही परीक्षा ली जाएगी सरकार ने यह भी कहा कि इसे लेकर व्यक्त गई चिंताओं का समाधान करने के लिए वह सर्वदलीय बैठक बुलाएगी.
उधर सीसैट के विरोध में दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर लगभग 60 परीक्षार्थियों का प्रदर्शन जारी है. इस बीच राजद सांसद पप्पू यादव ने जंतर मंतर पर पहुंचकर आंदोलन को अपना समर्थन दिया.
सूत्रों ने कहा कि परीक्षा के प्रारूप में इस वर्ष कोई बदलाव संभव नहीं है. सरकार हालांकि अगले वर्ष से परीक्षा में बदलाव पर विचार कर सकती है.
सीसैट पर उपजे विवाद को खत्म करने के लिए सरकार ने सोमवार को घोषणा की थी कि अंग्रेजी भाषा दक्षता जांच के अंक अंतिम मेधा सूची में नहीं जोड़े जाएंगे.
इस फैसले पर राज्यसभा में विपक्ष ने सवाल उठाया और कहा कि यह हड़बड़ी में लिया गया है.
इस मुद्दे पर उच्च सदन में बुधवार को चर्चा के बाद विपक्षी सदस्यों ने अन्य भाषाओं की हैसियत पर सवाल उठाया जबकि कुछ ने सीसैट को पूरी तरह से खत्म करने की मांग की.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी. राजा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा, “संघ लोक सेवा आयोग को सभी भारतीय भाषाओं में प्रश्न पत्र उपलब्ध करवाने चाहिए.”
भारतीय जनता पार्टी के नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने हालांकि कहा, “सरकार ने काफी सोच-विचार के बाद कदम उठाया है. यह समस्या कांग्रेस और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने शुरू की थी. अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और भाजपा ने इसका उचित हल निकाला है.”
इस मुद्दे पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए संसदीय कार्य राज्यमंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाएगी. उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दे पर सरकार विचार कर रही है.
उन्होंने कहा, “संघ लोकसेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली प्रशासनिक परीक्षा के प्रारूप में सुधार पर नेताओं की राय लेने के लिए हम सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे.”
उन्होंने कहा कि 24 अगस्त को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा को होने दिया जाए.
उन्होंने कहा, “हम प्रतिभागियों को शुभकामना दें और परीक्षा को होने दें.”
उन्होंने कहा, “सराकार ने पहले ही कुछ उपाय घोषित किए हैं और सदस्यों द्वारा सुझाए गए अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं.”
मंत्री की प्रतिक्रिया से असंतुष्ट समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और वाम मोर्चे के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए.