चिंतलगुफा कांड में सेना को क्लिन चिट
दंतेवाड़ा | संवाददाता: सुकमा के तिमलवाड़ा में फायरिंग के बीच घायल वायरलेस ऑपरेटर को हेलिकॉप्टर में छोड़ कर जाने के मामले में सेना को क्लिन चिट दे दी गई है. सेना के सूत्रों के अनुसार दिल्ली में हुई कोर्ट ऑफ इंक्वारी में माना गया कि जो परिस्थितियां थीं, उसमें सेना के जवानों ने सबसे बेहतर निर्णय लिया था.
गौरतलब है कि 18 जनवरी 2013 को सुकमा जिले में वायु सेना के हेलिकॉप्टर पर भी नक्सलियों ने फायरिंग किया जिससे उसमें सवार वायरलेस ऑपरेटर आरक्षक यमलाल साहू को गोली लगी. इसके बाद तिमिलवाड़ा के पास बीच जंगल में हेलिकॉप्टर को एमरजेंसी लैंडिंग कराया गया. ऑपरेटर एमआर साहू को हेलिकॉप्टर में घायल छोड़कर चले जाने के वायुसेना अफसरों के फैसले पर बवाल मच गया था.
इस मुद्दे को लेकर वायुसेना और नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई कर रही फोर्स आमने-सामने आ गए थे कि लैंडिंग के बाद वायुसेना के पायलटों और कमांडों समेत छह लोगों ने अपनी जान बचाने की चिंता की. वे सभी तो पैदल चिंतागुफा की तरफ निकल गए, पर हेलिकॉप्टर में घायल पड़े वायरलेस ऑपरेटर की फिक्र उन्होंने नहीं की. साहू के जख्मों से खून बह रहा था. वह ज्यादा खून बहने से मर सकते थे. अगर नक्सली सीआरपीएफ के जवानों से पहले वहां पहुंच जाते, तो वह उसकी हत्या कर सकते थे. हेलिकाप्टर में आधुनिकतम हथियार भी रखे हुए थे.
इसके बाद सेना ने भी अपनी सफाई में राज्य सरकार पर गलतबयानी का आरोप लगाय था. वायु सेना ने कहा था कि 18 जनवरी को तिमलवाड़ा में हुई घटना में वायुसैनिकों ने कोई लापरवाही नहीं बरती, बल्कि उन्होंने गलत सूचनाएं मिलने के बावजूद कामयाबी से मिशन पूरा किया. वायुसेना ने आरोप लगाया था कि अभियान से पहले उसके चालक दल को बताया गया था कि इलाका पूरी तरह सुरक्षित है.
वायु सेना के स्पष्टीकरण में बताया गया था कि जगदलपुर से राहत बचाव अभियान पर निकले एमआई-17 हेलिकॉप्टर की उड़ान के दौरान इलाके की सुरक्षा को लेकर तीन बार तस्दीक भी की गई, लेकिन सूचना के उलट हेलिकॉप्टर पर उस समय फायरिंग हुई, जब वह जमीन से महज 500 मीटर ऊंचाई और लैंडिंग स्थल से 50 मीटर दूरी पर था. वायुसेना चालक दल द्वारा हेलिकॉप्टर को चिंतलगुफा क्षेत्र में उतारने के बाद छोड़कर चले जाने के आरोपों को भी खारिज किया गया था.