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अडानी की फाइल गायब

रायपुर | संवाददाता: पतुरिया और गिधमुड़ी कोल ब्लॉक को अडानी को दिये जाने संबंधी MDO की फाइल, छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी से गायब हो गई है. कंपनी के अधिकारी ने माना है कि उनके कार्यालय में इससे संबंधित कागजात उपलब्ध नहीं हैं.

कोरबा ज़िले में गिधमुड़ी और पतुरिया कोयला खदान को अडानी की कंपनी कुछ दूसरी कंपनियों के साथ मिल कर MDO यानी माइन डेवलपर कम ऑपरेटर के तौर पर कोयला खनन का काम करने वाली है.

कांग्रेस पार्टी विपक्ष में रहते हुये MDO आधार पर खनन का विरोध करती रही है. लेकिन कांग्रेस पार्टी की सरकार में छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी ने अडानी को इसी आधार पर काम सौंपा है. अडानी का दावा है कि उन्हें पूरे नियम कायदे के अनुसार कोयला खदान का काम दिया गया है.

MDO को लेकर उठे विवाद के बीच कांग्रेस पार्टी इससे संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग करती रही है. यहां तक कि संसद में भी मोदी सरकार ने माना था कि MDO के दस्तावेज़ सार्वजनिक किये जा सकते हैं. इसे सूचना के अधिकार के तहत किसी को भी प्रदान किया जा सकता है. लेकिन छत्तीसगढ़ के मामले में ऐसा नहीं हुआ.

छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड अभी तक इससे संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक नहीं करने का हवाला देती रही है.

लेकिन अब सूचना के अधिकार में कंपनी ने कहा है कि पतुरिया और गिधमुड़ी कोल ब्लॉक, जो छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी को आवंटित है, उसके MDO होने की तारीख या MDO अनुबंध की प्रतिलिपि कार्यालय के अभिलेख में उपलब्ध नहीं हैं.

कोल घोटाला

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2014 में कोल खदानों के आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोप के बाद जब उच्चतम न्यायालय ने 214 कोयला खदानों का आवंटन रद्द कर दिया, तब केंद्र सरकार ने दावा किया कि इन कोयला खदानों का आवंटन अब नीलामी से किया जाएगा.

हालांकि इसके बाद केवल 27 प्रतिशत कोयला खदानों की ही नीलामी हो पाई और बाद में एक-एक कर अधिकांश कोयला खदानों को सार्वजनिक क्षेत्र या सरकारी कंपनियों को आवंटित कर दिया गया.

लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने कोयला खनन में अनुभव का हवाला दे कर अंततः इन खदानों को निजी कंपनियों को एमडीओ यानी माइन डेवलपर कम ऑपरेटर बना कर सौंप दिया.

इस एमडीओ को ही तमाम तरह की पर्यावरण स्वीकृतियां लेने, भूमि अधिग्रहण करने, कोयला खनन और परिवहन करने समेत तमाम काम करने होते हैं. यानी कहने को तो खदान सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र को आवंटित होती है लेकिन खदान पर पूरा नियंत्रण निजी कंपनी का ही होता है.

छत्तीसगढ़ में अडानी समूह के पास एमडीओ के तौर पर पहले से ही चार कोयला खदानें थीं, अब इसमें गिधमुड़ी और पतुरिया कोयला खदान भी जुड़ गई है.

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