आप की सफलता से एनआरआई खुश
दिल्ली | एजेंसी: दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी (आप) की अप्रत्याशित सफलता से उसका सहयोग कर रहे कई अनिवासी भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है. दरअसल आप के पक्ष में पक्ष में प्रचार करने के लिए कई एनआरआई दिल्ली में काफी समय से डेरा डाले हुए थे जिन्होंने आप को सफलता दिलाने के लिए स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया.
ऐसे ही एक अनिवासी भारतीय हैं मधु नरसैया (35), जो अमेरिका के बोस्टन में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे. वह दो महीने पहले ही अपनी अच्छी नौकरी छोड़कर भारत आ गए थे और उन्होंने आप के स्वयंसेवक के रूप में काम किया. आज उन्हें खुशी है कि वह और अन्य दर्जनों अनिवासियों की मेहनत रंग लाई और उन्होंने एक नई पार्टी को भारतीय राजनीति में एक शानदार शुरुआत दिलाने में योगदान किया.
मधु ने कहा, “मैं इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के जमाने से ही स्वयंसेवक रहा हूं और आईएसी के राजनीतिक दल के रूप में परिवर्तित होने पर काफी उत्साहित हुआ था.. मुझे लगता है कि इस बदलाव के लिए हमें दूसरा मौका शायद न मिल पाए.”
मधु ने कई विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया और लोगों से पार्टी के बारे में बात की जो कि एक साल पहले ही अस्तित्व में आई थी और यह किस तरह देश की राजनीति में बदलाव ला सकती है.
नरसैया अकेले नहीं हैं. 50 से अधिक अनिवासी दिल्ली आए हैं और उन्होंने यहां रहकर इस बात की पूरी कोशिश की कि आप कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों को कड़ी टक्कर दे. कहना न होगा कि इन अनिवासियों की अनवरत कोशिश मददगार साबित हुई.
आप ने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया है. परिणाम रविवार को घोषित किए गए. आप के संस्थापक-संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को नई दिल्ली विधानसभा सीट से 25,000 से अधिक वोटों के अंतर से पराजित किया.
आप के प्रदर्शन से प्रफुल्लित नरसैया, जो कि तमिलनाडु से संबंध रखते हैं, ने कहा, “देश की राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव लाने का यह एकमात्र अवसर था. और हम आज खुश हैं.”
आप के एक सदस्य ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “कई अनिवासी स्वयंसेवक के रूप में भारत आए और सैकड़ों ने विदेशों में रहकर कई तरीकों से आंदोलन और पार्टी को मदद की.”
इन अनिवासियों में अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और कनाडा स्थिति अनिवासी भी शामिल हैं. ब्रज मिश्रा (45) आस्ट्रेलिया के सिडनी में कॉरपोरेट कार्यकारी है और वह स्वयंसेवक के रूप में यहां आए और आप के पक्ष में अपने तरह से मदद की. मिश्रा ने अपनी नौकरी से छुट्टी ली और अपने परिवार को छोड़ा तथा भारत चले आए.
मिश्रा ने खासतौर से नई दिल्ली सीट पर प्रचार किया, जहां से केजरीवाल ने दिल्ली की तीन बार से लगातार मुख्यमंत्री बन रही शीला दीक्षित को पराजित किया. मिश्रा ने कहा, “पहला मौका है, जब इतनी बड़ी संख्या में लोग एकसाथ जुट रहे हैं. आशा है कि बदलाव की शुरुआत नई दिल्ली से होगी और यह पूरे देश में फैलेगा.”
ब्रिटेन से आए जयंत मिश्रा (77) ने कहा कि वह स्वयंसेवक के रूप में काम करने के लिए इसलिए आए, क्योंकि वह भारतीय युवाओं की आवाज सुनना चाहते थे. उन्होंने कहा, “मैं युवाओं, महिलाओं, उद्यमियों से बात करना चाहता था.. और ग्रामीण इलाकों में जाकर काम करना चाहता था.”
मिश्रा ने दिल्ली के सात विधानसभा क्षेत्रों में जाकर आप के पक्ष में प्रचार किया. कई अनिवासियों ने प्रचार के लिए चंदे भी जुटाए. आप के एक सदस्य ने कहा कि पार्टी को अनिवासियों से लगभग छह करोड़ रुपये चंदे के रूप में प्राप्त हुए.