आज से ‘अंगूठा छाप कैशलेस’ व्यवस्था
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: आज से देश ‘अंगूठा छाप कैशलेस’ व्यवस्था में कदम रखेगा. जिस देश की अधिसंख्य जनता गांवों में बसती है तथा कई लोग हस्ताक्षर करने की जगह ‘अंगूठा’ लगाने को तरहीज देते हैं, उसे देश में अब ‘अंगूठे’ की छाप से कैशलेस भुगतान संभव होने जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिये स्मार्टफोन रखने की जरूरत नहीं है. और तो और इससे ई-पेमेंट करने पर किसी तरह का टैक्स भी नहीं देना पड़ेगा.
कैशलेस भुगतान व्यवस्था की खामियों को इसके माध्यम से दूर करने का प्रयास किया गया है. इसमें केवल अपने ‘आधार नंबर’ के आधार पर अपने बैंक के अकाउंट से कैशलेस भुगतान किया जा सकेगा. इसके लिये दुकानदार को एक स्मार्टफोन और बॉयोमेट्रिक स्कैनर मशीन रखनी होगी. फिंगरप्रिंट सेंसर वाला मोबाइल फोन हो तो स्कैनर की भी जरुरत नहीं होगी. हां, इसके लिये जरूरत होगी कि आपका बैंक अकाउंट आपके आधार नंबर से जुड़ा हो.
कैसे काम करेगा ये एप
* नये एप को UDI, IDFC Bank और नेशनल पेंमेंट कॉरपोरेशन यानी एनपीसीआई ने विकसित किया है.
* दुकानदार और कस्टमर को एप अपने स्मार्टफोन पर गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करना होगा.
* ग्राहक को अपना आधार नंबर और बैंक का नाम एप में बताना होगा.
* इसके बाद मोबाइल हैंडसेट से जुड़े बॉयोमेट्रिक स्कैनर पर अपना अंगूठा रखना होगा.
* अंगूठे के निशान से आपकी पहचान साबित होगी और भुगतान पूरा हो जाएगा.
* सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें किसी तरह का सर्विस चार्ज फिलहाल नहीं देना होगा.
यानी डिजिटल लेन-देन के लिए ना तो डेबिट कार्ड की जरुरत है, ना ही डेबिट कार्ड या फिर मोबाइल वॉलेट की. साथ ही आपको पिन यानी पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर भी देने की जरुरत नहीं होगी. सबसे बड़ी बात ये है कि बतौर ग्राहक आपको मोबाइल फोन भी नहीं रखना होगा.
आधार नंबर जारी करने वाली संस्था यूआईडी का कहना है कि देश के करीब-करीब सभी नौजवानों को आधार कार्ड जारी किये जा चुके हैं जबकि 40 करोड़ से भी ज्यादा बैंक खाते आधार से जुड़े हैं. ऐसे में नये एप के जरिए लेन-देन में भारी संभावनाए दिख रही है.
यूआईडी का अनुमान है कि नये एप को अगले कुछ दिनों में 3 करोड़ दुकानदार इस्तेमाल करेंगे और इसकी बदौलत 25 से 30 करोड़ लोग खरीदारी कर सकेंगे इन सब की वजह से आधार के जरिये लेन-देन सवा करोड़ से छह गुना तक बढ़ सकता है.
देश में अब तक जारी करीब 94 करोड़ डेबिट कार्ड में करीब 74 करोड़ ही सक्रिय है. लेकिन इनमें भी हर 10 में से करीब नौ का इस्तेमाल सिर्फ एटीएम से पैसा निकालने या बैलेंश जानने में होता है, खरीदारी में नहीं. खरीदारी में इस्तेमाल नहीं होने की कई वजह है. मसलन, प्वाइंट ऑफ सेल्स यानी पॉस मशीन की कमी, सर्विस चार्ज, सुरक्षा को लेकर संदेह और इटंरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कतें.
देश में नकद रहित कारोबार को बढ़ावा देने में यही बातें बाधा बन रही है. लेकिन उम्मीद है कि ये बाधा जल्द ही दूर होगी और ये एक नए मोबाइल एपलिकेशन से मुमकिन होगा.
हां, इससे अर्थव्यवस्था काले से सफेद की ओर बढ़ने लगेगी. व्यापारियों के लिये काला धन बनाने का रास्ता बंद हो जायेगा.