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गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व में बायसन की मौत

बैकुण्ठपुर|संवाददाताः छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व क्षेत्र में छोड़ने के लिए लाए गए एक बायसन की मौत हो गई है.

वन विभाग एक दिन पहले ही बायसन को बारनवापारा से लेकर यहां आया था. खबर है कि अकेले होने के कारण इस अल्पव्यस्क बायसन की मौत हो गई.

इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने मृत बायसन का पोस्टमॉर्टम कर उसका अंतिम संस्कार चुपचाप तरीके से करा दिया.

अब इस मामले में पार्क के डायरेक्टर सौरव सिंह का कहना है कि घटना वाले दिन उद्यान क्षेत्र में भारी ठंड पड़ रही थी. पाला पड़ने से तापमान काफी गिर गया था. आशंका है कि ठंड के चलते बायसन की मौत हुई होगी. पशु विभाग के डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम किया है. अनुमान है कि कार्डियक प्रॉब्लम की वजह से बायसन की मौत हुई होगी. फिलहाल मृत बायसन के बिसरा सैंपल को रिसर्च लैब में जांच के लिए भेजा गया है.

गरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र जिसे अब टाईगर रिजर्व के रूप में घोषित किया जा चुका है.

इसलिए इस क्षेत्र में बायसन की आबादी बढ़ाने के लिए दूसरे नेशनल पार्क क्षेत्र से बायसन लाकर यहां शिफ्ट किया जा रहा है.

25 जनवरी को वन विभाग द्वारा बारनवापारा से एक मादा बायसन को यहां लाया गया था.

लेकिन पहली ही शिफ्टिंग के दौरान बायसन की मौत होने से वन विभाग में हड़कंप मच गया.

आनन-फानन में गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा अंबिकापुर से पशु विभाग के डॉक्टर को बुलाया और पोस्टमॉर्टम कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया.

बताया गया कि किसी भी वन्य प्राणी को एक से दूसरे जगह शिफ्ट करने के लिए प्रोटोकॉल जारी किया जाता है.

लेकिन बायसन के शिफ्टिंग में यहां के डायरेक्टर व अधिकारियों द्वारा प्रोटोकॉल का पालन सही तरीके से नहीं किया गया है.

आम तौर पर बोमा तकनीक का उपयोग करते हुए बायसन के झुंड को पहले कुछ दिनों तक इनक्लोज़र में रखा जाता है. उसके बाद उसे शिफ्ट किया जाता है.

कुछ समय पहले ही मप्र ने 50 बायसन शिफ्ट किए थे. इसके लिए बजाप्ता WII के विशेषज्ञों समेत अन्य विशेषज्ञों की टीम बनाई गई थी. महीनों की तैयारी के बाद उन्हें शिफ्ट किया गया था.

लेकिन छत्तीसगढ़ में वन विभाग के अधिकारी खुद ही विशेषज्ञ की भूमिका में आ गए. उन्होंने न तो किसी विशेषज्ञ की सेवा ली और ना ही प्रोटोकॉल का पालन किया.

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