अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघ की मौत
रायपुर | संवाददाता: बाघों की कमी से जूझ रहे छत्तीसगढ़ में एक और बाघ की अचानकमार टाइगर रिजर्व में मौत हो गई है. बाघ की मौत दो दिन पहले हो चुकी थी.
लेकिन वन विभाग के अधिकारियों को मौत की खबर आज जा कर मिली है. बाघ का शव लमनी रेंज के पास मिला है.
मौत के कारणों का अभी स्पष्ट पता नहीं चल पाया है.
वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि शुक्रवार की सुबह बाघ की मौत की जानकारी सामने आई है.
हालांकि आरंभिक तौर पर बाघ का शव दो से तीन दिन पुराना लग रहा है.
ख़त्म हो रहे हैं छत्तीसगढ़ से बाघ
एक तरफ़ पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ दर्ज़ा प्राप्त है, वहीं उसी मध्यप्रदेश से अलग हुए छत्तीसगढ़ में, नकारा अफ़सरों के कारण बाघों की जान के लाले पड़े हुए हैं.
पिछले कुछ सालों में एक के बाद एक बाघ ख़त्म होते चले गए.
अब हालत ये है कि राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश से 3 बाघों को लाने का फ़ैसला किया है.
इन्हीं बाघों के सहारे राज्य में बाघों की आबादी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.
2014 में 46 बाघ थे
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2014 की गणना में 46 बाघ थे.
लेकिन 2018 में यह संख्या घट कर केवल 19 रह गई.
पिछले साल आई रिपोर्ट के अनुसार राज्य के तीन टाइगर रिजर्व उदंती-सीतानदी, अचानकमार और इंद्रावती में केवल सात बाघ हैं.
पिछले 10 सालों में राज्य के अलग-अलग इलाकों में लगातार बाघों के शिकार की ख़बरें आती रही हैं.
वन विभाग के स्थानीय अमले ने कई अवसरों पर शिकारियों को पकड़ा भी है लेकिन बाघों की आबादी बढ़ाने की दिशा में वन विभाग ने कोई कोशिश नहीं की.
यहां तक कि जिस अचानकमार और बार नवापारा अभयारण्य से गांवों को विस्थापित किया गया, उन इलाकों को भी आज तक वन विभाग का अमला बाघों के अनुकूल विकसित नहीं कर पाया.