टमाटर तुड़ाई की लागत नहीं निकाल पा रहे छत्तीसगढ़ के किसान
बेमेतरा|संवाददाताः छत्तीसगढ़ में टमाटर की खेती करने वाले किसान इन दिनों टमाटर के गिरते दाम से चिंतित व परेशान हैं. लगातार टूटते भाव से अब टामटर तोड़ने की मजदूरी निकालना मुश्किल हो रहा है.
कुछ माह पहले 80-100 रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर आज 4-5 रुपए किलो तक पहुंच गया है.
कुछ दिन और इसी तरह की स्थिति रही तो किसानों को टमाटर को मवेशियों को खिलाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
बेमेतरा और साजा ब्लॉक में इस साल रबी फसल के दौरान सब्जी उत्पादन का रकबा काफी बढ़ा है. जिसमें बहुतायत में किसान टमाटर की खेती कर रहे हैं.
बेमेतरा जिले के नवागढ़, साजा, थानखम्हरिया और बेमेतरा तहसील में कुल 10613 हेक्टेयर क्षेत्रफल में साग-सब्जी की फसल की जाती है.
साग-सब्जी में टमाटर का रकबा सबसे अधिक 2502 हेक्टेयर से अधिक है. जिसमें करीब 52054 टन टमाटर की पैदावारी होती है.
जिला मुख्यालय से लगे ग्राम बैजी, लोलेसरा, पदमी, सेमरिया, सिरवाबांधा, पदुमसरा, हड़गांव, किरकी, निनवा, धिवरी, कंदई, गिधवा व हथमुड़ी समेत आसपास के कई गांवों के किसान वर्तमान में टमाटर की खेती कर रहे हैं. लेकिन इन दिनों टमाटर के गिरते दाम ने किसानों के लिए मुसीबत खड़ा कर दी है.
80 रुपये कैरेट बिक रहा
किसानों ने बताया कि दिसंबर महीनों में टमाटर के फसल में काफी बीमारी फैल गई थी. जिससे काफी फसल बरबाद हुई है.
किसी तरह दवा का छिड़काव कर फसल को संभाल पाए थे तो अब दाम ने धोखा दे दिया है.
पिछले 15 दिन से बाजार भाव में काफी उतार चढ़ाव हो रहा है. अभी थोक मंडी में टमाटर का दाम 80 से 100 रुपए प्रति कैरेट बिक रहा है.
जिससे टमाटर की लागत तो दूर परिवहन का खर्च निकाल पाना काफी मुश्किल हो रहा है.
किसानों ने बताया कि क्षेत्र का ज्यादातर टमाटर बिलासपुर मंडी जाता है. इसके अलावा कोरबा, भिलाई, तिल्दा, धमधा, दुर्ग, कुम्हारी, कवर्धा, बेमेतरा, थानखम्हरिया के मंडी भी लेकर जाते हैं.
लेकिन इन दिनों टमाटर का दाम स्थानीय मंडी में है ना ही बाहर के मंडी में है. मंडी में दाम नहीं होने के कारण किसानों के सामने उठाव की समस्या आ गई.
किसान छोटे-बड़े सभी जगह के मंडी में टमाटर खपाने में लगे हुए हैं, पर खप नहीं रहा है.
बाहर से दलाल भी नहीं आ रहे
साजा और बेमेतरा ब्लॉक के टमाटर उत्पादक किसानों का कहना है कि इन दिनों 4-5 रुपए किलो में टमाटर बिक रहा है. जिससे तोड़ाई का मजदूरी निकालना भी मुश्किल हो रहा है.
जिस समय टमाटर का भाव चढ़ा हुआ था. उस समय गांव-गांव में दलाल घूम रहे थे.
ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तक के दलाल टमाटर खोजते हुए यहां तक पहुंच रहे थे.
ये दलाल घर पहुंच कर टमाटर खरीदते थे, लेकिन इन दिनों उनका आना भी बंद हो गया है.
अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि मंडी में भी माल खप नहीं रहा है. वापस लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
इस स्थिति में गाड़ी भाड़ा देने के लिए पैसा नहीं बचता है. इसलिए जबरदस्ती औने-पौने भाव में टमाटर छोड़ना पड़ रहा है.
मंडी तो दूर लोकल बाजारों में भी पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में टमाटर की आवक पांच गुना से अधिक हो रही है.
बाजार में जितना टमाटर दिखता है उतना तो खरीददार नहीं पहुंच रहे हैं.
टोमेटो कैचअप प्लांट लगाने की मांग
क्षेत्र में साग-सब्जी की खेती और उत्पादन को देखते हुए काफी दिनों से कृषि आधारित उद्योग लगाने की मांग की जा रही है.
किसानों की मांग है कि जिले में टोमेटो कैचअप प्लांट, शक्कर कारखाना, पपीता कतरी प्लांट, सोया ऑयल व कॉटन प्लांट लगाया जाना चाहिए.
हालांकि बेरला क्षेत्र में काटन प्लांट संचालित किया जा रहा है. लेकिन अन्य प्लांट की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
क्षेत्र में टोमेटो कैचअप प्लांट नहीं होने से जिले के टमाटर उत्पादक किसान टमाटर खपाने के लिए वर्तमान में मंडी पर निर्भर हैं. जिस वजह से किसानों को इस तरह से फसल नुकसान का सामना करना पड़ता है.