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दलहन-तिलहन में बढ़ा किसानों का रूझान

धमतरी|संवाददाताः छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में किसानों का रुझान उन्हारी फसलों की ओर बढ़ा है. जिसके चलते इस साल दलहन, तिलहन की फसल का रकबा काफी बढ़ा है.

जिले के किसानों ने तो सरकार के लक्ष्य को भी पीछे छोड़ दिया है. सरकारी लक्ष्य से कहीं ज्यादा क्षेत्रफल में दलहन तिलहन की फसल लगाई है. जिसमें चने की फसल सबसे ज्यादा है.

जिले में इस साल 29 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल में दलहन, तिलहन की फसल लगाई गई है.

कृषि विभाग ने लगातार कम होते जल स्त्रोत को देखते हुए इस बार धमतरी के किसानों से फसल चक्र में परिवर्तन की अपील की थी. साथ ही गांव-गांव घूमकर फसल चक्र परिवर्तन के ले विशेष अभियान चलाया था. जिसका सार्थक परिणाम सामने आया है.

किसानों ने गरमी में धान की फसल को छोड़कर इस बार दलहन-तिलहन की फसल को लगाना पसंद किया है. जिसके चलते दलहन-तिलहन का रकबा काफी बढ़ गया है.

मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने इस बार धमतरी जिले में दलहन-तिलहन की फसल का लक्ष्य 24380 हेक्टेयर रखा था, लेकिन इस बार किसानों ने लक्ष्य से अधिक 29000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में दलहन-तिलहन की फसल लगाई है.

किसानों ने दलहन में चना का फसल लेना ज्यादा पसंद किया है. 13530 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिर्फ चने की फसल लगाई गई है. इसी प्रकार तिलहन में सबसे ज्यादा सरसों की फसल 5318 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगाई गई है.

खाद की खपत कम

जिले में दलहन-तिलहन का रकबा बढ़ने से रासायनिक खाद का उठाव नहीं के बराबर हुआ है. क्योंकि इन फसलों में खाद की खपत धान की अपेक्षा काफी कम होती है. जबकि जिले के सहकारी समितियों में अब तक 2484 टन खाद का भंडारण किया जा चुका है. जिसमें से अभी तक मात्र 471 टन खाद का ही उठाव हुआ है.

किसानों का कहना है कि दलहन-तिलहन की फसल में खाद ज्यादा नहीं लगता है. जिस वजह से किसान खाद नहीं उठा रहे हैं. कुछ किसान ही हैं जो सहकारी समिति के खाद का उठाव किए हैं.

किसानों का कहना है कि अब फसल को खाद की जरूरत है. किसान अब खाद उठाएंगे. कुछ किसान तो निजी दुकान से भी खाद खरीद रहे हैं.

सफल बीमा में रुचि नहीं

दूसरी ओर किसान रबी फसल में फसल बीमा कराने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. जबकि दलहन-तिलहन का भी फसल बीमा होता है.

कृषि विभाग द्वारा फसल बीमा कराने के लिए किसानों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है. इसके बाद भी किसान बीमा को लेकर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

सहकारी समिति के मुताबिक पिछले बार करीब 6 हजार किसानों ने फसल बीमा कराया था.  इस साल अभी तक मात्र 8313 किसानों ने ही फसल बीमा कराया है.

जिस हिसाब से इस बार दलहन-तिलहन की फसल लगाई गई है उस हिसाब से कम से कब 18 हजार से ज्यादा किसानों का फसल बीमा होना था.

समर्थन मूल्य की मांग

जिले के किसानों ने इस बार फसल चक्र परिवर्तन का समर्थन किया है, लेकिन किसानों ने अपनी कुछ शर्तें सरकार के सामने रखी हैं.

कुछ दिन पहले ही किसानों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है दलहन-तिलहन के लिए उन्हें सरकार समर्थन मूल्य दें.

साथ ही उपज को बेचने के लिए स्थाई मंडी भी उपलब्ध कराए, जिससे किसानों की मेहनत का उन्हें भरपूर दाम मिल सके.

किसानों का कहना है कि स्थाई बाजार नहीं होने से किसानों को औने-पौने में अपनी फसल बेचनी पड़ती है. इससे किसानों को काफी नुकसान होता है.

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