सरपंच पद जिस वर्ग के लिए आरक्षित, गांव में उस वर्ग का कोई व्यक्ति ही नहीं
जांजगीर-चांपा|संवाददाताः छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरपंच पद के आरक्षण के बाद एक अजीब मामला सामने आया है.
जिले के नवागढ़ जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत पीथमपुर में सरपंच का पद आरक्षण में एसटी मुक्त के लिए रिजर्व हो गया है. लेकिन मजेदार बात यह है कि इस ग्राम पंचायत में वर्तमान में उस वर्ग का एक भी व्यक्ति निवासरत नहीं है.
आरक्षण की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों में अब उहापोह की स्थिति निर्मित हो गई है कि अब हमारे ग्राम पंचायत में सरपंच का चुनाव कैसे होगा.
आरक्षण की इस प्रक्रिया को लेकर अब ग्रामीणों में आक्रोश दिखने लगा है.
ग्रामीणों का कहना है कि इस आरक्षण का पूरा गांव मिलकर विरोध करेंगे. साथ ही शासन-प्रशासन से मांग करेंगे कि पूर्व में जो आरक्षण तय किया गया है उसे बदला जाए और गांव में जिस जाति वर्ग के लोग निवासरत हैं उस हिसाब से आरक्षण तय किया जाए.
गौरतलब है कि त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरपंच और वार्ड पंचों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया बुधवार को जिले में संपन्न हुई.
लॉटरी के जरिए ग्राम पंचायत सरपंच और वार्ड पंच पद के लिए वर्गवार आरक्षण तय किया गया.
इस दौरान जब ग्राम पंचायत पीथमपुर की बारी आई तो लॉटरी में एसटी (अनुसूचित जनजाति) मुक्त का पर्चा खुला और उसी आधार पर पीथमपुर को एसटी वर्ग के लिए रिजर्व कर दिया गया.
जबकि गांव में एसटी वर्ग का एक भी व्यक्ति ही नहीं है.
जब इसकी जानकारी गांव के लोगों को हुई तो वे भी हैरान हो गए और सोच में पड़ गए कि अब क्या होगा. इस वर्ग का सरपंच उम्मीदवार गांव में लाएंगे कहां से.
बताया गया कि इससे पहले पिछले तीन पंचवर्षीय से पीथमपुर पंचायत में सरपंच का पद ओबीसी के लिए आरक्षित होता आ रहा था.
2011 की जनगणना के आधार पर हुआ आरक्षण
इस संबंध में एसडीएम जांजगीर दुर्गा प्रसाद अधिकारी का कहना है कि त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सरपंच और वार्ड पंच का आरक्षण 2011 की जनगणना को आधार मानकर किया गया है. 2011 की सर्वे सूची के आधार पर लॉटरी निकाली गई है. मतदाता सूची के आधार पर आरक्षण तय नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि पंचायत पीथमपुर में आरक्षित वर्ग से कोई व्यक्ति नहीं है तो जांच कराएंगे. इसके बाद उच्चाधिकारियों को इससे अवगत कराया जाएगा.
उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना के दौरान पीथमपुर में एससी वर्ग के लोग जरूर निवासरत रहे होंगे. इसी सूची के आधार पर लॉटरी निकला है.
अब ऐसी होगी प्रक्रिया
बताया जा रहा है कि कभी भी इस तरह की स्थिति निर्मित होने पर संबंधित एसडीएम के पास ग्रामीणों द्वारा प्रतिवेदन सौंपा जाता है.
इसके बाद एसडीएम के माध्यम से पंचायत में सत्यापन कराया जाता है कि जिस वर्ग के लिए आरक्षण हुआ है उस वर्ग का व्यक्ति गांव में निवासरत तो नहीं है.
साथ ही यह भी देखा जाता है कि मतदाता सूची में उस वर्ग के व्यक्ति का नाम तो नहीं है.
जांच में पूरी तरह स्थिति स्पष्ट होने के बाद कि उस वर्ग का व्यक्ति गांव में निवासरत नहीं है, तब एसडीएम के माध्याम से जांच प्रतिवेदन जिला कलेक्टर के पास भेजा जाता है.
जहां से फिर संशोधन किया जाता है.