राष्ट्र

मतभेद पैदा किया जा रहा है: शिंदे

नई दिल्ली । केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को राष्ट्रीय एकता परिषद की 16वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि लोगों का एक छोटा समूह हमारे बीच मतभेद पैदा कर रहा है. हमें इनका मुकाबला करना है. हम मंच से आग्रह करेंगे कि इन्हें रोकने के लिए उपाय सुझाएं.

उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक असद्भाव, लिंग असमानता और समाज के कमजोर तबकों पर हमले के बारे में मंच से महत्वपूर्ण सुझाव आएंगे, जिससे इन मुद्दों से निपटने में मदद मिलेगी.

उन्होंने बहुलवादी समाज के मूल्यों को बनाए रखने में एनआईसी की एक मंच के रूप में सराहना की. उन्होंने कहा कि आज हमारे सामने चिंता के तीन महत्वपूर्ण क्षेत्र जहां विभाजनकारी ताकतें हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की अखंडता के लिए खतरा बनी हुई है, पर चर्चा का प्रस्ताव है.

शिंदे ने कहा कि पहला मुद्दा महिला सुरक्षा से जुड़ा है. महिलाएं हमारी आबादी का आधा हिस्सा हैं और देश के विकास में समान भूमिका निभाती हैं. महिलाओं के प्रति जघन्य अपराध बढ़ते जा रहे हैं. भारत सरकार ने आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन करके महत्वपूर्ण कदम उठाया है. हमें इस बात पर चर्चा करनी होगी कि समाज द्वारा वे और कौन से कदम उठाएं जाए जिससे महिलाओं के प्रति भेदभाव और अवमानना के मूल कारणों से निपटा जा सके. हमें महिलाओं के प्रति समाज के रवैए में बदलाव लाने की भी जरूरत है.

दूसरा मुद्दा अनुसूचित जाति, जनजाति और उन पर होने वाले अत्याचार से जुड़ा है. एससी, एसटी को वर्षों से अपमान झेलना पड़ रहा है और वे हाशिए पर हैं. संविधान में सकारात्मक व्यवस्था के बावजूद वे हमारे समाज से नहीं जुड़ पाए हैं. पिछले तीन वर्षों में एससी/एसटी पर हुए अत्याचारों पर मुकदमा चलाने के बारे में भी उदासीन रवैया सामने आया है. तरह-तरह के बहाने अपना कर उन्हें न्याय से वंचित रखा जाता है. यह मंच एससी, एसटी के विकास में आनेवाली अड़चनों के बारे में चर्चा करके उपाय सुझाए कि वे शेष समाज के साथ बराबरी क्यों नहीं कर पाते. उन्हें भी सम्मानित जीवन और राष्ट्रीय विकास में समान साझीदार बनने का हक है.

तीसरा मुद्दा सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता से संबंधित है. पिछले दो वर्षों में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है. पिछले कुछ महीनों की घटनाओं से स्पष्ट है कि इनके पीछे बुरा मंशा है. ऐसा लगता है कि सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हुई हैं और समाज का ध्रुवीकरण करना चाहती हैं. मामूली सी घटना जो तिल के बराबर होती हैं, ताड़ बना दी जाती है.

सम्मेलन में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, मंत्रिमंडल के सदस्य, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता, राज्यों के मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय एकता परिषद के सदस्य और विशिष्ट आमंत्रित मौजूद रहे.

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