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जशपुर में बर्फ जमने से करोड़ों की टाऊ की फसल बर्बाद

जशपुर|संवाददाताः छत्तीसगढ़ में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है. पिछले कुछ दिनों से शीतलहर चलने से सुबह पाले की परत जमने लगी है. इसका सबसे ज्यादा नुकसान जशपुर क्षेत्र के टाऊ (कट्टू) की खेती करने वाले किसानों को उठाना पड़ा है. खड़ी फसलों पर लगातार बर्फ जमने से उनकी फसल पूरी तरह से खराब हो गई. इससे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है.

टाऊ या बकविट मुख्य रूप से तिब्बत के पहाड़ी क्षेत्र की फसल है. इसकी खेती छत्तीसगढ़ में मुख्यतः सरगुजा मैनपाट व उससे लगे इलाकों और जशपुर जिले में होती है. यहां की जलवायु और भूमि दोनों ही टाऊ की खेती के लिए अनुकूल माना जाता है.

सरगुजा और जशपुर जिले के किसान इस साल लगभग पांच हजार एकड़ में टाऊ की खेती कर रहे हैं. लेकिन मौसम की मार से किसान शुरू से परेशान होते रहे हैं. पहले अधिक बारिश होने के कारण बुआई में पिछड़े गए थे. अब जब फसल फूल-फलकर तैयार हुई तो शीतलहर और पाले ने उनकी पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया. पाले की परत जमने से दाने खराब हो गए हैं.

यहां के किसानों का कहना है कि इस बार फसल अच्छी थी. 1 एकड़ में 3-4 लाख रुपए के टाऊ की उपज लेने की उम्मीद थी.

इस साल करीब 35 करोड़ रुपए की टाऊ की फसल पठारी इलाके से निकलने का अनुमान लगाया गया था.

यहां के किसान टाऊ से अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं. जिसे देखते हुए अब हर साल जिले में टाऊ लगाने के लिए बड़ी संख्या में किसान आगे आने लगे हैं. इससे हर वर्ष रकबा में भी इजाफा हो रहा है.

व्रत में किया जाता है उपयोग

नेपाल के तिब्बती शरणार्थी अपने देश से टाऊ के बीच साथ लेकर आए थे. इसके बाद इस फसल को यहां लाकर उगाना शुरू किया था.

धीरे-धीरे इस विदेशी फसल को सरगुजिहा किसानों ने अपना लिया. कभी चार-पांच एकड़ में लगने वाला टाऊ अब पांच हजार एकड़ में लगता है.

यह फसल अब मैनपाट और जशपुर के किसानों की आय का जरिया बन गया है.

तिब्बत की यह फसल कट्टू या कुट्टू के नाम से भी जाना जाता है. कहीं-कहीं पर इसे लोग फांफर भी कहते हैं.

टाऊ का उपयोग गेहूं के आटे की तरह किया जाता है. दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, धर्मशाला व अन्य बड़े शहरों में बिकने वाला कुट्टू का आटा टाऊ ही है.

इसका उपयोग भारत में व्रत में फलाहार के रूप में किया जाता है. इसके आटे से भजिया, मालपुआ, पराठे सहित अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं.

इसके अलावा अब कुकीज,बिस्किट, मोंमोस बनाने के लिए टाऊ के आटे का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह काफी पौष्टिक माना जाता है.

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